Jan Shatabdi Express बाल-बाल बची: नई दिल्ली, जनशताब्दी एक्सप्रेस एक बड़े हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बच गई। आगरा रेल मंडल ने इस पर बड़ा एक्शन लेते हुए दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। दिल्ली जा रही जन शताब्दी एक्सप्रेस को उस पटरी पर मोड़ दिया गया जिसकी मरम्मत हो रही थी। इस मामले में एक स्टेशन मास्टर और एक ट्रैफिक कंट्रोलर को सस्पेंड कर दिया। इस घटना के बाद सैकड़ों यात्रियों की जान खतरे में पड़ गई थी।
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इमरजेंसी ब्रेक लगाकर खतरे को टाला
सूत्रों के अनुसार, ट्रेन के सतर्क चालक दल ने पटरियों का प्रबंधन करने वाले कर्मचारियों द्वारा लगाए गए लाल झंडे को देखा और तुरंत आपातकालीन ब्रेक लगाकर ट्रेन को उस हिस्से में पहुंचने से पहले ही रोक दिया, जहां मरम्मत की जा रही थी। मंडल की प्रभागीय परिचालन प्रबंधकऔर अधिकृत प्रवक्ता प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि दो कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा ‘‘यह दो कर्मचारियों की खराब संचालन योजना का मामला है। अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत उन्हें जांच पूरी होने तक निलंबित कर दिया गया है।’’
यात्री की तबीयत बिगड़ने पर टीटीई ने ट्रेन रोकने का किया था अनुरोध
सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार को सुबह करीब साढ़े 10 से 11:00 बजे के बीच एक यात्री की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिलने पर ट्रेन टिकट परीक्षक (टीटीई) ने आगरा नियंत्रण कक्ष से संपर्क कर छाता स्टेशन पर ट्रेन रोकने का अनुरोध किया। एक सूत्र ने बताया ‘‘हालांकि, छाता स्टेशन पार हो गया क्योंकि आवश्यक निर्देश समय पर लोको पायलट तक नहीं पहुंच पाए। इसके बाद टीटीई ने फिर संपर्क कर अगले स्टेशन कोसी पर यात्री को उतारने की अनुमति मांगी, क्योंकि उसकी तबीयत और बिगड़ गई थी।’’
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स्टेशन मास्टर ने लूप लाइन की ओर मोड़ दी ट्रेन
उसने बताया ‘‘जब कोसी पर भी ट्रेन नहीं रुकी, तब ट्रेन में मौजूद कर्मियों ने एक बार फिर अनुरोध किया, जिसके बाद होडल स्टेशन पर ट्रेन रोकने का निर्णय लिया गया लेकिन स्टेशन मास्टर ने जल्दबाजी में सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए ट्रेन को उस लूप लाइन पर मोड़ दिया जिसकी मरम्मत की जा रही थी।’’ घटना से अवगत अधिकारियों ने बताया कि पटरी की मरम्मत कर रहे कर्मियों ने लूप लाइन की शुरुआत से पहले लाल झंडा लगाया हुआ था जिसे देखकर सतर्क चालक दल ने तुरंत ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोका।
लोको पायलट की सूझबूझ से टला हादसा
मंडल के एक अधिकारी ने कहा ‘‘अगर लोको पायलट ने समय पर सूझबूझ न दिखाई होती तो एक बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। केवल निचले स्तर के नहीं, बल्कि वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों को भी इस तरह की गंभीर सुरक्षा चूक के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब एक यात्री की तबीयत खराब होने की सूचना मिली, तो ट्रेन को रोकने को लेकर इतनी अनिर्णय की स्थिति क्यों थी? वरिष्ठ अधिकारी कहां थे?’’