नई दिल्ली : सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के भारत के फैसले से पाकिस्तान की दिक्कतें बढ़ने लगी हैं। सिंधु बेसिन की नदियों में बाढ़ से पाकिस्तान के हालात बदतर हैं और उसके कई बड़े शहरों में पानी भरने से हाहाकार मच गया है। सिंधु जल आयोग के काम नहीं करने से भारत की तरफ से इस बारे में कोई सूचना भी नहीं दी जा रही है। हालांकि भारत ने इंसानियत दिखाते हुए तवी नदी में बाढ़ आने के खतरे के बारे में पाकिस्तान को बता दिया था। इसके बावजूद वह समय पर लोगों को सुरक्षित जगहों पर नहीं पहुंचा पाया।
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विदेश मंत्रालय से दी गईं तीन सूचनाएं
भारत ने तीन बार पाकिस्तान को मानवीय आधार पर जो सूचनाएं दी हैं, वह विदेश मंत्रालय के जरिए दी गई हैं। पहलगाम के आतंकी हमले के बाद भारत के जल प्रहार यानी सिंधु जल समझौते को स्थगित करने से पाकिस्तान की स्थिति खराब हो रही है। पहले गर्मी के मौसम में भारत से पानी कम छोड़े जाने से वह धमकी देने पर उतर आया था और अब बाढ़ के हालात में बिना किसी सूचना के नदियों में बाढ़ से वह गिड़गिड़ाने की स्थिति में आ गया है। सिंधु जल समझौते के स्थगित होने से सिंधु जल आयोग का काम भी ठप है, जो सिंधु बेसिन की नदियों, जल प्रवाह आदि की सूचनाओं, पूर्वानुमानों के बारे में बताने और दोनों पक्षों की तरफ से आने वाली दिक्कतों को हल करने का काम करता था।
पाकिस्तान में हाहाकार
सिंधु बेसिन की सभी नदियों में बने भीषण बाढ़ के हालात से पाकिस्तान में हाहाकार मचा हुआ है। यह सभी नदियां भारत से पाकिस्तान की ओर जाती है और पाकिस्तान को कोई अद्यतन जानकारी नहीं दी जा रही है। बीते दिनों भारत के विदेश मंत्रालय ने मानवीय आधार पर तवी नदी में पानी बढ़ने के बारे में पाकिस्तान को सूचित किया था। इससे पाकिस्तान की नाराजगी बढ़ी थी क्योंकि इसके पहले सिंधु जल आयोग इसकी सूचना देता था और दोनों देश मिलकर काम करते थे। पाकिस्तान को विदेश मंत्रालय मंत्रालय से महज सूचना मिली। बाढ़, जल प्रवाह आदि के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। सूत्रों के अनुसार दो और सूचनाएं सतलज में पानी बढ़ने पर दी गई थी।
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रावी नदी में बाढ़ आने से लाहौर में हालात बदतर
रावी नदी में बाढ़ आने से लाहौर में हालात बदतर हो गए। भारत ने इस बारे में कोई सूचना नहीं दी थी। पाकिस्तान आरोप लगा रहा है कि भारत के बांधों से अचानक पानी छोड़ा जा रहा है और पाकिस्तान को बताया भी नहीं जा रहा है और न ही पाकिस्तान के पास भारत के जल संसाधन विभाग से संवाद कर हालात संभालने के लिए चर्चा करने का कोई तंत्र है। आने वाले समय में बारिश के बाद उसे खेती के लिए पानी के संकट का और ज्यादा सामना करना पड़ सकता है।