अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ और रूस से तेल खरीद पर अतिरिक्त शुल्क लगाने से आर्थिक जंग तेज हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत के लिए चुनौतीपूर्ण दौर है, खासकर जब चीन लगातार अपनी सैन्य शक्ति बढ़ा रहा है। इसी बीच सरकार निर्यातकों को राहत देने के लिए उच्च-स्तरीय बैठक कर रही है।
अमेरिका ने भारत के खिलाफ खुली आर्थिक जंग छेड़ दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिसमें रूस से तेल खरीद पर 25% अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। यह फैसला 27 अगस्त से लागू हो जाएगा।
इस कदम के बाद अमेरिका में भारतीय सामान काफी महंगे हो जाएंगे, जिससे भारतीय निर्यातकों पर भारी असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए यह बेहद चुनौतीपूर्ण समय है, खासकर जब चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है।
America के Tarrif और भारत की चुनौती
अमेरिका द्वारा लगाए गए यह टैरिफ दूसरे देशों की तुलना में कहीं ज्यादा हैं। नतीजतन, भारत की विदेश नीति और व्यापार रणनीति पर दबाव बढ़ गया है। सरकार ने 26 अगस्त को उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई है, ताकि निर्यातकों को राहत देने के उपाय किए जा सकें।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी आर्थिक नीति और विदेश रणनीति को लेकर और ज्यादा सावधान रहना होगा।
निर्यातकों पर असर और सरकार की तैयारी
नए अमेरिकी टैरिफ से भारत के निर्यातकों को भारी नुकसान होने की आशंका है। सरकार छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) समेत कुछ खास सेक्टर्स को राहत देने की योजना बना रही है।
भू-रणनीतिज्ञ ब्रह्मा चेल्लान्नी का कहना है कि अमेरिका का यह कदम ऐसे समय में आया है जब चीन तेजी से विस्तार कर रहा है। वहीं, पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल का मानना है कि यह भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने के लिए और मजबूत करेगा। उनका कहना है कि “टैरिफ का असर धीरे-धीरे कम हो जाएगा।”
क्या चीन पर दांव लगाना सही होगा?
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के हूवर इंस्टीट्यूशन के सीनियर फेलो सुमित गांगुली का मानना है कि अमेरिका के साथ बिगड़ते रिश्तों के बीच भारत का चीन की ओर झुकना एक बड़ी गलती हो सकती है।
हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत का दौरा किया। 2020 के गलवान संघर्ष के बाद यह किसी चीनी नेता का पहला उच्च-स्तरीय दौरा था। मुलाकात के दौरान मोदी ने “स्थिर प्रगति” की बात की, जबकि वांग यी ने भारत और चीन को “भागीदार” बताने पर जोर दिया।
लेकिन गांगुली ने चेतावनी दी कि चीन और भारत के बीच सीमा विवाद, आर्थिक असमानता और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की वजह से रिश्ते जटिल बने हुए हैं।
अमेरिका, पाकिस्तान और भारत-चीन तनाव
गांगुली ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का पाकिस्तान को बढ़ावा देना भारत के लिए चिंता का विषय है। अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसीम मुनीर को व्हाइट हाउस बुलाया, जिससे भारत हैरान हुआ।
उनका मानना है कि भारत और चीन के बीच कोई मजबूत आधार नहीं है और उनके हित आपस में नहीं मिलते। ऐसे में चीन पर भरोसा करना भारत के लिए खतरनाक हो सकता है।
निष्कर्ष
अमेरिका द्वारा लगाया गया 50% टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था और विदेश नीति दोनों के लिए बड़ी चुनौती है। चीन की ओर झुकाव भारत के लिए रणनीतिक गलती साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस समय संतुलित और दूरदर्शी नीति अपनाने की जरूरत है।The Economic Times रिपोर्ट
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