UPI ने बनाया Record: एक दिन में 70 Crore ट्रांजैक्शन, अब मुफ्त सेवा पर उठे सवाल – क्या जल्द लगेगा Charge?
UPI (Unified Payments Interface) ने 2 अगस्त 2025 को नया इतिहास रच दिया। पहली बार एक ही दिन में 70 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन हुए, जो डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में एक बड़ा मील का पत्थर है। लेकिन इस शानदार रिकॉर्ड के बीच, यूपीआई के मुफ्त रहने पर सवाल उठने लगे हैं।
UPI ने तोड़े सारे Records
- 2 अगस्त 2025 को UPI ट्रांजैक्शंस की संख्या 70 करोड़ के पार पहुंची
- July में कुल 19.47 अरब ट्रांजैक्शन हुए जिसकी वैल्यू थी 25.1 लाख करोड़ रुपये
- सालाना तुलना में:
- 35% ग्रोथ वॉल्यूम में
- 22% ग्रोथ वैल्यू में
- जून 2025 में डेली वॉल्यूम था 62.8 करोड़, जो अब बढ़कर 70 करोड़+ हो गया
- अनुमान: 2026 तक UPI ट्रांजैक्शंस 1 अरब/दिन तक पहुंच सकते हैं
ICICI बैंक ने शुरू की ट्रांजैक्शन फीस
बड़ी खबर यह है कि ICICI Bank ने 1 अगस्त से PhonePe और Google Pay जैसे पेमेंट एग्रीगेटर्स से प्रति ट्रांजैक्शन फीस वसूलना शुरू कर दिया है।
फीस स्ट्रक्चर:
- एस्क्रो अकाउंट वाले एग्रीगेटर्स:
→ 2 BPS (0.02%) या अधिकतम ₹6 - बिना एस्क्रो अकाउंट वाले एग्रीगेटर्स:
→ 4 BPS (0.04%) या अधिकतम ₹10 - ICICI अकाउंट में सीधे पेमेंट लेने वाले मर्चेंट्स को छूट
इससे पहले, यस बैंक और एक्सिस बैंक ही ऐसी फीस वसूलते थे। अब ICICI के कदम से यह ट्रेंड तेज हो सकता है।
UPI की Zero Fee सुविधा पर खतरा?
अब तक UPI ट्रांजैक्शन यूज़र्स और मर्चेंट्स के लिए पूरी तरह फ्री रहे हैं। फिनटेक कंपनियां और बैंक ही लागत का वहन कर रहे थे। लेकिन अब यदि बैंक पेमेंट एग्रीगेटर्स से फीस लेंगे, तो संभावना है कि ये चार्जेज मर्चेंट्स या कस्टमर्स पर ट्रांसफर किए जाएं। इससे छोटे व्यापारियों पर बोझ बढ़ सकता है।
RBI का इशारा: Zero-Fee सिस्टम अब नहीं रहेगा स्थायी
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल में कहा:
“UPI को आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाना जरूरी है। सरकार फिलहाल बैंकों को सब्सिडी दे रही है, लेकिन ये मॉडल लंबे समय तक नहीं चल सकता।”
इसका साफ मतलब है कि आने वाले समय में UPI ट्रांजैक्शन पर चार्ज लगना संभव है।
फ्री UPI का भविष्य अधर में?
- बढ़ते ट्रांजैक्शन वॉल्यूम के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट भी बढ़ रही है
- बैंक और फिनटेक कंपनियां अब रेवेन्यू मॉडल को लेकर गंभीर हैं
- UPI का ‘फ्री’ मॉडल अब टिकाऊ नहीं माना जा रहा
- छोटे मर्चेंट्स और स्टार्टअप्स के लिए यह बदलाव चुनौती बन सकता है
क्या करें यूज़र्स और मर्चेंट्स?
- नई पॉलिसी और फीस स्ट्रक्चर पर नज़र रखें
- बैंकों या पेमेंट एग्रीगेटर्स से अपडेट्स लेना जारी रखें
- संभावित चार्जेज के लिए वित्तीय प्लानिंग करें