अमेरिका ने भारतीय सामान पर 50% टैरिफ लगा दिया है। इससे भारत के कुल निर्यात का करीब दो-तिहाई हिस्सा प्रभावित हो सकता है। खासतौर पर टेक्सटाइल्स, जेम्स एंड जूलरी, कारपेट, फर्नीचर और झींगा (Shrimp Export) पर इसका सीधा असर पड़ने की आशंका है।
क्यों बढ़ी भारतीय एक्सपोर्टर्स की टेंशन?
अमेरिकी बाजार अब भारतीय निर्यातकों के लिए प्रॉफिटेबल नहीं रह गया है। टैरिफ बढ़ने के बाद भारत का सामान अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए दूसरे देशों की तुलना में महंगा हो गया है। नतीजतन, निर्यातकों की डॉलर में होने वाली कमाई पर बड़ा असर पड़ सकता है।
क्या भारतीय उपभोक्ताओं को मिलेगा फायदा?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जो सामान अमेरिका जाता था, उसका बड़ा हिस्सा अब घरेलू बाजार में बेचा जा सकता है। इससे इन प्रोडक्ट्स की कीमतों में गिरावट आ सकती है और भारतीय ग्राहकों को Export Quality Products का फायदा मिल सकता है।
लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि मामला इतना आसान नहीं है।
- टेक्सटाइल्स और फर्नीचर जैसे सेक्टर्स में मुनाफे का मार्जिन बहुत कम होता है।
- बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट के कारण निर्यातक डॉलर में अच्छी कमाई करते थे, जो घरेलू बिक्री से संभव नहीं है।
- इतना ज्यादा सामान भारतीय बाजार में खपाना भी मुश्किल होगा।
ट्रेडर्स के सामने संकट
निर्यात के लिए बनाए गए प्रोडक्ट्स की क्वालिटी आमतौर पर घरेलू सामान से कहीं बेहतर होती है। अगर इन्हें भारत में बेचा जाता है, तो कंपनियों को उतना मुनाफा नहीं मिलेगा। ऐसे में निर्यातक यूरोपियन यूनियन, खाड़ी देशों या दूसरे नए बाजारों की तलाश कर सकते हैं।
हालांकि, यह रास्ता सभी ट्रेडर्स के लिए आसान नहीं होगा।
- बड़े निर्यातक अपनी इन्वेंट्री रोककर सही खरीदार का इंतजार कर सकते हैं।
- छोटे ट्रेडर्स के पास यह विकल्प नहीं है और उन्हें मजबूरी में घरेलू बाजार में माल बेचना पड़ सकता है।
बेरोजगारी का खतरा
जानकारों का कहना है कि कुछ प्रोडक्ट्स जैसे टेक्सटाइल्स और लेदर आइटम्स भारतीय बाजार में खप सकते हैं। लेकिन समग्र रूप से देखें तो इससे ट्रेडर्स को नुकसान और रोजगार पर असर पड़ सकता है। एक्सपोर्ट पर निर्भर कई इंडस्ट्रीज में बड़े पैमाने पर नौकरी जाने की संभावना है।
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