भारत के Supreme Court ने Teachers Salary को लेकर बड़ा बयान दिया है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षक केवल पढ़ाने का काम नहीं करते, बल्कि वे छात्रों को सही मार्ग दिखाते हैं और उनमें अच्छे संस्कार भी डालते हैं। इसलिए, अगर शिक्षकों को उचित वेतन और सम्मान नहीं मिलेगा तो केवल ‘गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः’ का पाठ करना बेकार है।
शिक्षकों के वेतन पर Supreme Court की चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार द्वारा सहायक प्रोफेसरों को कम वेतन देने पर सख्त नाराज़गी जताई है। अदालत ने कहा कि जो लोग भविष्य की पीढ़ी को तैयार करते हैं, उन्हें सम्मान और पर्याप्त वेतन मिलना चाहिए। अगर उन्हें कम पैसे दिए जाएंगे तो देश में शिक्षा और ज्ञान का स्तर गिर जाएगा।
गुजरात सरकार पर सवाल
गुजरात सरकार कांट्रैक्ट पर काम करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसरों को मात्र 30,000 रुपये महीना वेतन दे रही थी, जबकि रेगुलर एसोसिएट प्रोफेसरों को 1.2 लाख और रेगुलर प्रोफेसरों को 1.4 लाख रुपये तक मिल रहे हैं। कोर्ट ने इसे ‘समान काम, समान वेतन’ के सिद्धांत के खिलाफ बताया।
हाईकोर्ट ने पहले ही आदेश दिया था कि असिस्टेंट प्रोफेसरों को समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए, लेकिन गुजरात सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया और कहा कि शिक्षकों को उचित सैलरी मिलना उनका अधिकार है।
शिक्षक देश की बौद्धिक रीढ़
जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने कहा कि शिक्षक किसी भी देश की बौद्धिक रीढ़ होते हैं। वे न केवल पढ़ाते हैं बल्कि रिसर्च को बढ़ावा देते हैं, सोचने की क्षमता विकसित करते हैं और समाज को आगे बढ़ाने वाले मूल्यों की शिक्षा देते हैं। अगर उनके योगदान को उचित सम्मान और वेतन नहीं मिलेगा तो यह पूरे देश के भविष्य को प्रभावित करेगा।
खाली पद और भर्ती की समस्या
कोर्ट को बताया गया कि गुजरात में 2,720 पदों में से सिर्फ 923 पद रेगुलर स्टाफ से भरे गए हैं। बाकी पदों पर एड-हॉक और कांट्रैक्ट के आधार पर भर्ती की गई है। इसके अलावा 737 पद अब भी खाली पड़े हैं। सरकार ने भले ही नए असिस्टेंट प्रोफेसरों और लेक्चरर्स के पदों को मंजूरी दी हो, लेकिन पर्याप्त स्थायी नियुक्तियां नहीं की जा रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट संदेश
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि जब तक शिक्षकों को उचित वेतन और सम्मान नहीं दिया जाएगा, तब तक देश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार संभव नहीं है। अच्छे वेतन और मान-सम्मान के साथ ही शिक्षक अपना पूरा योगदान देकर नई पीढ़ी को तैयार कर सकते हैं। (NCTE)
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