रायपुर: छत्तीसगढ़ के दूरस्थ और वन क्षेत्रों के ग्रामीण स्कूलों में सालों से सेवा दे रहे अतिथि शिक्षकों, जिन्हें यहां ‘विद्या मितान’ कहा जाता है, उनकी लंबे समय से चली आ रही मांगों को अब राजनीतिक स्तर पर गंभीरता से उठाया जा रहा है। रायपुर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को एक औपचारिक पत्र लिखकर इन शिक्षकों की प्रमुख मांगों को पूरा करने की अपील की है। पत्र में हाईकोर्ट के एक हालिया फैसले का जिक्र करते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है। यह कदम हजारों विद्या मितान शिक्षकों के लिए राहत की उम्मीद जगाता है, जो वर्षों से असुरक्षित नौकरी और सीमित सुविधाओं से जूझ रहे हैं।
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विद्या मितान शिक्षकों की अनकही कहानी
छत्तीसगढ़ के आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए 2016 से ‘विद्या मितान’ योजना के तहत अतिथि शिक्षकों की भर्ती की गई थी। ये शिक्षक न केवल कक्षा में पढ़ाते हैं, बल्कि चुनाव ड्यूटी, बोर्ड परीक्षाओं की निगरानी, पेपर सेटिंग, मूल्यांकन और अन्य
प्रशासनिक कामों में भी पूरी तरह से नियमित व्याख्याताओं की तरह योगदान देते हैं। लेकिन इनकी मेहनत के बदले में उन्हें न्यूनतम मानदेय, कोई स्थाई नौकरी की गारंटी नहीं, और बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया है। प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार साहू के नेतृत्व वाली प्रांतीय अतिथि शिक्षक (विद्या मितान) संघ ने हाल ही में सांसद अग्रवाल को एक विस्तृत आवेदन सौंपा, जिसमें इनकी पीड़ा और मांगों का जिक्र है। संघ के अनुसार, ये शिक्षक राज्य के सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में काम कर रहे है, जहां पहुंचना और काम करना दोनों ही कठिन है। फिर भी उन्हें शासकीय कर्मचारियों के बराबर सम्मान और अधिकार नहीं मिल रहे।
सांसद अग्रवाल ने इस आवेदन को आधार बनाते हुए सीएम को पत्र लिखा, जिसमें सहानुभूतिपूर्ण विचार और तत्काल निर्देश जारी करने की गुजारिश की गई है।
विद्या मितान शिक्षकों की प्रमुख मांगें
पत्र में विद्या मितान शिक्षकों की चार मुख्य मांगों का स्पष्ट उल्लेख है, जो उनकी दैनिक जिंदगी की सच्ची तस्वीर पेश करती हैं। ये मांगें न केवल आर्थिक सुरक्षा, बल्कि सम्मान और स्थिरता से जुड़ी है ग्रीष्मकालीन अवधि में मानदेय स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियों के दौरान भी इन्हें काम नहीं मिलता, जिससे परिवार का गुजारा मुश्किल हो जाता है। मांग है कि हर साल इस अवधि के लिए भी पूर्ण मानदेय दिया जाए, ताकि आर्थिक असुरक्षा कम हो। नियमित सरकारी कर्मचारियों की तरह सभी सरकारी छुट्टियां और अवकाश मिलने चाहिए। वर्तमान में, ये शिक्षक बिना किसी छुट्टी के काम करने को मजबूर हैं, जो स्वास्थ्य और परिवारिक जीवन को प्रभावित करता है।
अतिथि शिक्षक के बजाय पदनाम को ‘व्याख्याता (विषयवार)’ किया जाए। यह बदलाव न केवल सम्मान बढ़ाएगा, बल्कि इनकी योग्यता को मान्यता देगा, क्योंकि ये विषय विशेषज्ञ की तरह काम करते हैं। वर्तमान में इनकी सेवा अर्धवार्षिक आधार पर नवीनीकृत होती है, जो अनिश्चितता पैदा करती है। मांग है कि इसे पेंशन योग्य आयु (60 वर्ष) तक बढ़ाया जाए, ताकि लंबे समय तक सेवा दे सकें और रिटायरमेंट लाभ मिले। ये मांगें वर्षों की जद्दोजहद का नतीजा हैं। 2020 में भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ इन शिक्षकों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए थे, जिसमें सुआ नृत्य जैसे पारंपरिक तरीकों से अपनी बात रखी गई थी। लेकिन अब विष्णुदेव साय सरकार के सामने यह मुद्दा फिर से गरमाया है।
हाईकोर्ट का फैसला और न्याय की उम्मीद
सांसद अग्रवाल के पत्र का सबसे मजबूत आधार छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर का हालिया निर्णय है। याचिका संख्या डब्ल्यूपी (एस) नंबर 5573/2024 में कोर्ट ने अतिथि शिक्षकों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्ण विचार करने का आदेश दिया है। हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट रूप से इन मांगों को लागू करने के निर्देश नहीं दिए, लेकिन राज्य सरकार को इनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए कहा है। यह फैसला विद्या मितान संघ के लिए एक बड़ा समर्थन जो अब इसे हथियार बनाकर सरकार पर दबाव बना रहा है। अग्रवाल ने पत्र में लिखा है, “उक्त संबंध में राज्य अतिथि शिक्षकों द्वारा है,
माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा पारित निर्णय का उल्लेख करते हुए उक्त मांगों को अतिशीघ्र पूर्ण किए जाने का अनुरोध किया गया है।” उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि संलग्न मांग पत्र पर विचार कर संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी करें।
सांसद बृजमोहन अग्रवाल से प्रांताध्यक्ष अन्नपुर्णा पाण्डेय, उपाध्यक्ष किरण तिवारी और टीम मिलने गई थी जिसपर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने संवेदनशीलता के साथ मुख्यमंत्री को पत्र लिखा।