अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने एक बार फिर वैश्विक बाजार में हलचल मचा दी है। खासकर भारत के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि देश कच्चे तेल और ऊर्जा आयात पर काफी हद तक निर्भर है। इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर Raghuram Rajan ने इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका टैरिफ को और सख्त करता है, तो इसका सीधा असर भारतीय तेल कंपनियों पर पड़ेगा।
Rajan की सलाह और भारतीय बाजार की चुनौती
रघुराम राजन का मानना है कि भारत को अब केवल आयात पर निर्भर रहने की बजाय वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी के चलते कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो भारतीय कंपनियों को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इससे न सिर्फ पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा होगा बल्कि मंहगाई पर भी असर पड़ेगा।
राजन ने यह भी इशारा किया कि भारतीय सरकार और कंपनियों को पहले से रणनीति बनानी चाहिए। उनका सुझाव है कि भारत को रूस, ईरान और खाड़ी देशों के साथ दीर्घकालिक ऊर्जा समझौते करने चाहिए ताकि अमेरिका की नीतियों का असर कम हो सके।
क्या होगी भारतीय तेल कंपनियों की स्थिति?
अगर अमेरिकी टैरिफ बढ़ते हैं तो हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) और भारत पेट्रोलियम (BPCL) जैसी कंपनियों पर लागत का बोझ बढ़ जाएगा। राजन का मानना है कि सरकार को इन कंपनियों को सब्सिडी या टैक्स छूट जैसे कदमों से राहत देनी होगी, वरना आम जनता तक इसका सीधा असर पहुंचेगा।
वैश्विक राजनीति और भारत की राह
यह केवल तेल तक सीमित नहीं है। रघुराम राजन का कहना है कि भारत को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी लानी होगी। नवीकरणीय ऊर्जा, हाइड्रोजन फ्यूल और इलेक्ट्रिक वाहनों में निवेश बढ़ाने से ही भारत लंबे समय तक वैश्विक राजनीति और टैरिफ संकट से बच सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत को वैश्विक स्तर पर सहयोग बढ़ाना होगा ताकि किसी भी एक देश की नीतियां भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित न कर सकें।
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