India और चीन के बीच उच्च-स्तरीय कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है। चीन के विदेश मंत्री ने आधिकारिक रूप से भारत दौरे की पुष्टि कर दी है और यह भी साफ हो गया है कि उनकी मुलाकात PM Narendra Modi से तय तारीख पर होगी। यह मुलाकात सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं मानी जा रही, बल्कि इसे America को सीधा संदेश देने के रूप में भी देखा जा रहा है।
क्यों अहम है यह मुलाकात?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और चीन के बीच यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका लगातार अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। चीन चाहता है कि भारत उसके साथ सामरिक और आर्थिक मोर्चे पर नए रास्ते तलाशे, जबकि भारत अपने पड़ोसी देश के साथ तनावपूर्ण रिश्तों को संतुलित करने का प्रयास कर रहा है।
बातचीत के प्रमुख मुद्दे
सूत्रों के अनुसार इस बैठक में कई बड़े मुद्दों पर चर्चा हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
- सीमा विवाद और एलएसी पर तनाव की स्थिति
- व्यापारिक संबंध और निवेश के अवसर
- ब्रिक्स (BRICS) और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की नीतियों पर प्रतिक्रिया
अमेरिका पर सीधा प्रभाव
कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस बैठक का सीधा असर अमेरिका पर पड़ सकता है। भारत और चीन अगर सहयोग का कोई नया मॉडल सामने रखते हैं, तो यह अमेरिका की रणनीतिक नीतियों को चुनौती दे सकता है। खासकर तब, जब अमेरिका लगातार भारत को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है और चीन पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहा है।
पीएम मोदी की भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस मुलाकात में भूमिका बेहद अहम रहेगी। वे एक ओर चीन को स्पष्ट संदेश देंगे कि भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय हित से कोई समझौता नहीं होगा, वहीं दूसरी ओर दोनों देशों के बीच व्यापार और सहयोग के नए रास्ते खोलने की कोशिश करेंगे।
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