Onam Festival Date and Puja Vidhi: ओणम को दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु आदि राज्यों में मनाया जाने वाला सबसे लोकप्रिय पर्व माना जाता है, जिसे यहां पर लोग बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. ओणम को थिरु-ओणम या थिरुवोनम (Thiru-Onam or Thiruvonam, Onam) के नाम से भी जाना जाता है. मलयालम भाषा में थिरु शब्द का अर्थ पवित्र होता है. मलयालम कैलेंडर के अनुसार यह पर्व चिंगम माह में और तमिल कैलेंडर में अवनी माह में मनाया जाता है. इस साल ओणम का पावन पर्व 05 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा. आइए इस पावन पर्व के धार्मिक महत्व और परंपराओं के बारे में विस्तारे जानते हैं.
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क्यों मनाया जाता है ओणम का पर्व
ओणम का पावन पर्व अगस्त से सितंबर महीने के बीच में मनाया जाता है. इस दिन यहां पर घरों को फूलों और रंगोली आदि से सजाया जाता है. दक्षिण भारत में मान्यता है कि ओणम के दिन राजा महाबलि पाताल लोक से पृथ्वी पर अपनी प्रजा को आशीर्वाद देने के लिए आते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन श्री हरि यानि भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था. यही कारण है कि इस दिन दोनों ही देवताओं की विशेष पूजा का विधान है.
ओणम पर्व पर कैसे करें पूजा
ओणम पर्व के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करें और नये वस्त्र पहन कर अपने पूजा स्थान को पारंपरिक फूलों और रंगोली आदि से सजाएं. इसके बाद ऊंचे मंच पर भगवान ‘थ्रिक्ककारा अप्पन’ की मूर्ति या चित्र को रखें. इसे बाद उनकी विधि-विधान से फल-फूल चढ़ाएं. भगवान को पायसम और अन्य चीजों का भोग लगाएं. इसके बाद धूप-दीप दिखाएं और श्री हरि के मंत्रों या फिर श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. पूजा के अंत में भगवान की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटकर खुद भी ग्रहण करें.
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ओणम की पौराणिक कथा
हिंदू मान्यता के अनुसार ओणम का पावन पर्व दानवीर राजा बली के सम्मान में मनाया जाता है. मान्यता है कि एक बार असुरों के राजा बली श्री हरि विष्णु के भक्त थे लेकिन उन्हें अपने पराक्रम का बहुत अभिमान था. जिसे तोड़ने के लिए श्री हरि ने वामन अवतार लिया और उनसे तीन पग धरती मांग ली. तब राजा बली ने अभिमान में कहा आपने तो बहुत छोटी चीज मांग ली, ले लीजिए.
इसके बाद जब भगवान विष्णु ने एक पग से पूरी धरती और स्वर्गलोक को नाप लिया. इसके बाद वे राजा से बोले की तीसरा पग कहां रखूं तब राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया. जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने राजा बली को अमरता का वरदान देकर पाताल लोक का राजा बना दिया. मान्यता है कि हर साल ओणम के दिन राजा बलि पृथ्वी पर अपनी जनता से मिलने के लिए पृथ्वी पर आते हैं, जिनके स्वागत में यह पावन पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है.