री-राइट आर्टिकल
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) अब 2026 के एग्जाम से पहले ही अपनी तैयारियों में जुट गई है। हाल ही में NTA Exam की परीक्षाओं को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं, खासकर नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस को लेकर। छात्रों का कहना है कि अलग-अलग शिफ्ट और पेपर पैटर्न की वजह से मार्क्स में असमानता आ जाती है। अब एजेंसी इस समस्या को दूर करने के लिए नए कदम उठाने जा रही है।
नॉर्मलाइजेशन पर सबसे ज्यादा विवाद
CSIR NET, UGC NET और JEE Main जैसी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में लाखों स्टूडेंट्स बैठते हैं। चूँकि ये परीक्षाएँ कई शिफ्ट में आयोजित की जाती हैं, इसलिए कठिनाई स्तर हर शिफ्ट में अलग हो सकता है। ऐसे में NTA अब नए सिस्टम पर काम कर रहा है ताकि सभी उम्मीदवारों को न्यायसंगत अंक (Fair Marks) मिल सकें।
NTA की नई पहल
- एजेंसी बेहतर डेटा एनालिसिस टूल्स का इस्तेमाल करेगी।
- हर शिफ्ट के सवालों की कठिनाई का वैज्ञानिक तरीके से आकलन होगा।
- छात्रों को पारदर्शिता बढ़ाने के लिए स्कोरिंग मेथड की जानकारी पहले ही उपलब्ध कराई जाएगी।
CSIR NET, UGC NET और JEE Main पर अपडेट
- CSIR NET 2026: पेपर पैटर्न में बदलाव की संभावना नहीं, लेकिन नॉर्मलाइजेशन को लेकर सख्ती बरती जाएगी।
- UGC NET 2026: पेपर मल्टी-शिफ्ट में होगा, इसलिए स्टूडेंट्स को अब ज्यादा भरोसेमंद स्कोरिंग सिस्टम मिलेगा।
- JEE Main 2026: बड़ी संख्या में उम्मीदवार बैठते हैं, ऐसे में NTA का फोकस पूरी तरह इस पर है कि किसी भी स्टूडेंट के साथ अन्याय न हो।
छात्रों के लिए फायदे
नई नॉर्मलाइजेशन पॉलिसी लागू होने से छात्रों का विश्वास बढ़ेगा और किसी भी शिफ्ट में कठिन पेपर आने पर भी स्टूडेंट्स को बराबरी का मौका मिलेगा।