बिहार की राजनीति में एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसा कदम उठाया है, जिसने सियासी हलचल तेज कर दी है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने 91 नेताओं की नई टीम का गठन कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक इसे नीतीश का मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं, क्योंकि यह कदम विपक्ष के लिए सीधा संदेश है कि जेडीयू अब पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है।
91 नेताओं की टीम से क्या है नीतीश का मकसद
सूत्रों के मुताबिक, इस टीम में समाज के हर वर्ग, जाति और क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है। इसमें युवा नेताओं से लेकर पुराने अनुभवी चेहरों तक को शामिल किया गया है। यह टीम जेडीयू के लिए जमीनी स्तर पर काम करेगी और “न्याय के साथ विकास” के एजेंडे को जनता तक पहुंचाएगी।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार इस टीम के जरिए दो लक्ष्य साधना चाहते हैं
1.पार्टी में संगठनात्मक मजबूती लाना।
2. विपक्षी दलों, खासकर राजद और कांग्रेस को चुनौती देना।
चुनाव से पहले क्यों जरूरी था यह कदम
बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में नीतीश कुमार जानते हैं कि मतदाताओं तक मजबूत संदेश पहुंचाने के लिए संगठन को फिर से सक्रिय करना जरूरी है। जेडीयू में पिछले कुछ महीनों से अंदरूनी असंतोष और वोटबैंक खिसकने की चर्चाएं चल रही थीं। इसी को ध्यान में रखते हुए नीतीश ने यह बड़ा कदम उठाया है ताकि पार्टी कार्यकर्ताओं को नई जिम्मेदारियां मिलें और एकजुटता का माहौल बन सके।
टीम में किन-किन नेताओं को मिली अहम जिम्मेदारी
- इस नई टीम में जेडीयू के कई जाने-माने चेहरों को प्रमुख भूमिका दी गई है।
- वरिष्ठ नेता ललन सिंह को रणनीतिक दिशा तय करने का जिम्मा दिया गया है।
- युवा मोर्चा के कई नए चेहरे इस बार टीम में शामिल किए गए हैं ताकि युवाओं में उत्साह बढ़े।
- महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिला नेताओं को भी महत्वपूर्ण पद सौंपे गए हैं।
- नीतीश कुमार का मानना है कि पार्टी तभी मजबूत होगी जब हर वर्ग को बराबर प्रतिनिधित्व मिले।
राजनीतिक संदेश और विपक्ष पर वार
विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम विपक्ष के लिए एक राजनीतिक संकेत है कि नीतीश कुमार अभी भी मैदान में हैं और रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हाल ही में तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेताओं ने नीतीश कुमार पर “जनता से दूरी” का आरोप लगाया था, लेकिन इस नई टीम के गठन से मुख्यमंत्री ने यह दिखा दिया है कि वह जनता के बीच सक्रिय रहेंगे। यह दम एनडीए गठबंधन को भी मजबूती देगा और विपक्षी गठबंधन को चुनौती पेश करेगा।
नीतीश का फोकस — ग्राउंड लेवल कनेक्शन
जेडीयू सूत्रों के मुताबिक, नई टीम को हर विधानसभा क्षेत्र में जाकर जनता से जुड़ने का निर्देश दिया गया है। पार्टी ने तय किया है कि हर जिले में “जनसंवाद यात्रा” आयोजित की जाएगी, जिसमें मुख्यमंत्री खुद भी हिस्सा ले सकते हैं। इसका उद्देश्य यह है कि जनता को यह एहसास दिलाया जाए कि सरकार उनके बीच है और उनकी समस्याओं को सुन रही है।
वोटिंग से पहले माहौल गरम
जैसे-जैसे बिहार में चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राज्य की सियासत दिन-ब-दिन रोचक होती जा रही है। नीतीश कुमार की नई टीम के गठन से यह साफ है कि वह इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। पार्टी सूत्रों के अनुसार, जेडीयू जल्द ही अपने चुनावी घोषणापत्र और उम्मीदवारों की सूची भी जारी करने की तैयारी में हैं


