Majrooh Sultanpuri का जेल में लिखा गाना बना इतिहास
“एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल…” आज भी जब यह गाना गूंजता है, तो दिल गर्व से भर जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि Majrooh Sultanpuri का यह जेल में लिखा गाना दरअसल 1949 में उस समय रचा गया था, जब वह आज़ाद खयालों के कारण सरकार की नजरों में थे?
पंडित नेहरू के खिलाफ कविता लिखने पर भेजे गए थे जेल
Majrooh Sultanpuri का जेल में लिखा गाना एक साधारण गीत नहीं, बल्कि सत्ता के खिलाफ कलम की ताकत का प्रतीक है। 1949 में उन्होंने बलराज साहनी जैसे अन्य वामपंथी कलाकारों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ कविताएं लिखीं। परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार किया गया और जेल में डाल दिया गया।
जेल में राज कपूर से हुई मुलाकात, दी गाने की पेशकश
जेल में रहने के दौरान, राज कपूर साहब उनसे मिलने पहुंचे। मजरूह साहब ने मदद की जगह बस एक काम मांगा और वहीं उन्होंने उन्हें यह कालजयी कविता दी – “एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल…”।
Majrooh Sultanpuri का जेल में लिखा गाना 26 साल बाद बना सुपरहिट
यह गीत 1975 में राज कपूर की फिल्म ‘धरम करम’ में शामिल हुआ और रिलीज होते ही सुपरहिट हो गया। मजरूह साहब को इसके लिए ₹1000 दिए गए, जो उस दौर में बड़ी रकम मानी जाती थी।
जब नेहरू को कहा ‘हिटलर’, लेकिन नहीं मांगी माफी
सरकार ने उनसे माफ़ी की उम्मीद की, लेकिन Majrooh Sultanpuri अडिग रहे। उन्होंने कविता में नेहरू की तुलना हिटलर से की, और जेल की सज़ा स्वीकार कर ली। उनका ये जज़्बा ही आज भी इस गाने को अमर बनाता है।
Majrooh Sultanpuri का जेल में लिखा गाना: आशा, हौसला और सच्चाई की मिसाल
जब आप अगली बार इस गाने को सुनें, तो यह मत भूलिए कि यह शब्द उस कवि की कलम से निकले हैं, जिसने अंधेरे में भी आशा को चुना। यह गीत आज भी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो हालातों से लड़ना जानता है।