बिहार की राजनीति में एक नई हलचल देखने को मिल रही है। लोकगायिका मैथिली ठाकुर के राजनीतिक क्षेत्र में संभावित प्रवेश की खबरों ने भाजपा के भीतर एक खेमे में बेचैनी बढ़ा दी है। संगीत और संस्कृति की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाली मैथिली अब राजनीति में कदम रखने की तैयारी में दिखाई दे रही हैं। उनके आने की चर्चा से पटना से लेकर दिल्ली तक हलचल तेज़ हो गई है।
मैथिली ठाकुर का प्रभाव और लोकप्रियता
मैथिली ठाकुर बिहार और उत्तर भारत के युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। लोकगीतों, भजनों और पारंपरिक संगीत के ज़रिए उन्होंने करोड़ों लोगों के दिलों में जगह बनाई है। उनकी लोकप्रियता सिर्फ़ ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं, बल्कि शहरी युवाओं में भी गहरी पैठ रखती है। यही वजह है कि राजनीतिक दल अब उन्हें एक बड़े “फेस वैल्यू” के रूप में देख रहे हैं।
भाजपा में बढ़ी सियासी हलचल
सूत्रों के मुताबिक, मैथिली ठाकुर की संभावित एंट्री ने भाजपा के एक गुट को असहज कर दिया है। पार्टी के कुछ नेता मानते हैं कि उनकी लोकप्रियता मौजूदा स्थानीय नेताओं की राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। वहीं पार्टी नेतृत्व इस बात पर विचार कर रहा है कि अगर मैथिली को किसी भूमिका में लाया जाए, तो इसका फायदा 2025 के चुनावी प्रचार में उठाया जा सकता है।
पटना से दिल्ली तक बढ़ी सक्रियता
जानकारी के अनुसार, मैथिली ठाकुर के करीबी कुछ लोग दिल्ली में भाजपा नेतृत्व से संपर्क में हैं। वहीं पटना में उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर अभियान भी शुरू कर दिया है, जिसमें उन्हें “बिहार की बेटी” बताकर राजनीति में आने की मांग की जा रही है। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में भाजपा के भीतर रणनीतिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
राजनीतिक दलों की रणनीति पर असर
भाजपा के अलावा अन्य दल भी मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता को लेकर सतर्क हैं। जदयू और राजद दोनों ही इस संभावना पर नज़र रखे हुए हैं कि अगर मैथिली किसी राजनीतिक मंच से जुड़ती हैं, तो इसका असर महिला और युवा वोट बैंक पर पड़ेगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मैथिली ठाकुर की छवि साफ-सुथरी है और वे “कल्चर कनेक्ट” के ज़रिए मतदाताओं को प्रभावित कर सकती हैं।
जनता के बीच बढ़ती चर्चा
मैथिली ठाकुर के राजनीति में आने की चर्चा सोशल मीडिया से लेकर गाँव-कस्बों तक पहुँच चुकी है। लोगों का मानना है कि अगर वे राजनीति में आती हैं, तो बिहार को एक ऐसी प्रतिनिधि मिल सकती है जो संस्कृति और युवाओं की आवाज़ दोनों को साथ लेकर चले