रविचंद्रन अश्विन ने हाल ही में IPL से संन्यास का ऐलान किया है। इससे कुछ महीने पहले ही उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट को भी अलविदा कह दिया था। अश्विन ने अपने IPL करियर में पांच अलग-अलग टीमों का प्रतिनिधित्व किया और कुल 221 मैचों में 187 विकेट झटके। उनका औसत 30.22 और इकॉनमी रेट 7.20 रहा। गौर करने वाली बात ये है कि अश्विन ने अपना करियर महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में शुरू किया था, लेकिन उन्होंने धोनी से पहले ही क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
अंबाती रायडू ने जुलाई 2013 में जिम्बाब्वे के खिलाफ भारत के लिए वनडे डेब्यू किया था। उन्होंने 55 वनडे मैचों में 47.05 की शानदार औसत से रन बनाए और तीन शतक भी जड़े। रायडू ने IPL में मुंबई इंडियंस और बाद में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए शानदार प्रदर्शन किया। वे 2019 वर्ल्ड कप में नंबर 4 के लिए प्रबल दावेदार थे, लेकिन सेलेक्टर्स ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया और उनकी जगह विजय शंकर को टीम में लिया गया। इससे नाराज होकर रायडू ने सभी फॉर्मेट से रिटायरमेंट की घोषणा कर दी। उन्होंने बाद में वापसी की कोशिश की, लेकिन इंटरनेशनल टीम में नहीं लौट सके और आखिरकार IPL से भी रिटायर हो गए।
आरपी सिंह
पूर्व तेज गेंदबाज आरपी सिंह ने 2005 में जिम्बाब्वे के खिलाफ इंटरनेशनल डेब्यू किया और T20 में उनका डेब्यू धोनी की कप्तानी में हुआ था। IPL में उन्होंने 90 विकेट लिए और कई मौकों पर भारत को अपनी गेंदबाजी से जीत दिलाई। हालांकि 2018 में उन्होंने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया।
प्रज्ञान ओझा
प्रज्ञान ओझा ने 2009 में T20 इंटरनेशनल डेब्यू किया, वो भी धोनी की कप्तानी में। उन्होंने 24 टेस्ट मैचों में 113 विकेट लिए और 2013 में सचिन तेंदुलकर के फेयरवेल टेस्ट में ‘मैन ऑफ द मैच’ बने। उस मैच के बाद वे फिर कभी टीम इंडिया का हिस्सा नहीं बने। धीरे-धीरे क्रिकेट से दूरी बनाते हुए उन्होंने भी रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया।
प्रवीण कुमार
प्रवीण कुमार एक शानदार स्विंग गेंदबाज थे जिन्होंने तीनों फॉर्मेट में धोनी की कप्तानी में डेब्यू किया। 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने पहला इंटरनेशनल मैच खेला। अपने करियर में उन्होंने 6 टेस्ट और 68 वनडे खेले, जिसमें क्रमशः 27 और 77 विकेट चटकाए। 2018 में उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने रिटायरमेंट की घोषणा की।
निष्कर्ष:
ये सभी खिलाड़ी कभी भारतीय क्रिकेट का अहम हिस्सा रहे और इन्होंने अपने करियर की शुरुआत महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में की। लेकिन समय, चयन विवाद और प्रतिस्पर्धा की वजह से इन्होंने धोनी से पहले ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इनका करियर आने वाली पीढ़ियों के लिए सीख है कि टैलेंट के साथ-साथ मौके और समय भी उतने ही अहम होते हैं।