Krishna Janmashtami 2025 पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि में हुआ था। भक्त उपवास रखते हैं और रात्रि में चंद्रमा के उदय के बाद ही व्रत का समापन करते हैं। यही कारण है कि जन्माष्टमी का व्रत चंद्रोदय के दर्शन के बाद पूर्ण माना जाता है।
इस वर्ष, यानी 16 अगस्त 2025 को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा का उदय सामान्य दिनों की तुलना में देर से होता है, इसलिए सभी भक्तों को बेसब्री से चंद्र दर्शन का इंतजार रहता है। हर शहर में चांद निकलने का समय अलग-अलग है। आइए जानते हैं आपके शहर में Janmashtami Chand Nikalne ka Samay 2025 और साथ ही पूजा विधि एवं मंत्र।
जन्माष्टमी 2025 चंद्रोदय समय (शहरवार)
नीचे दिए गए समय के अनुसार आप अपने शहर में चंद्रमा के उदय की प्रतीक्षा कर सकते हैं:
- मथुरा – रात 11:35 बजे
- वृंदावन – रात 11:33 बजे
- दिल्ली – रात 11:32 बजे
- लखनऊ – रात 11:21 बजे
- नोएडा – रात 11:33 बजे
- गाज़ियाबाद – रात 11:31 बजे
- मेरठ – रात 11:29 बजे
- मुज़फ्फरनगर – रात 11:28 बजे
- फरीदाबाद – रात 11:32 बजे
- सोनीपत – रात 11:32 बजे
- हिसार – रात 11:37 बजे
- सिरसा – रात 11:39 बजे
- बिजनौर – रात 11:26 बजे
इन समयों में जब भी चंद्रमा का दर्शन होगा, तभी भक्त Janmashtami Puja Vidhi के अनुसार पूजा शुरू करेंगे और व्रत पूर्ण करेंगे।
चंद्र दर्शन के बाद पूजा विधि
- सबसे पहले मंत्र का जप करें
- “सोमाय सोमेश्वराय सोमपतये सोमसम्भवाय सोमाय नमो नमः”
इस मंत्र का जप चंद्रमा की कृपा पाने और व्रत पूर्ण करने के लिए किया जाता है।
- “सोमाय सोमेश्वराय सोमपतये सोमसम्भवाय सोमाय नमो नमः”
- चंद्रमा की पूजा करें
- शंख में जल भरें।
- उसमें फल, कुश, कुसुम और गंध डालें।
- इसके बाद नीचे दिया गया श्लोक पढ़ते हुए अर्घ्य दें:
क्षीरोदार्णवसंभूत अत्रिनेत्रसमुद्भव।
गृहाणार्घ्य शशांकेमं रोहिण्या सहितो मम॥
ज्योत्स्नापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषां पते।
नमस्ते रोहिणीकान्त अर्घ्य मे प्रतिगृह्यताम्॥ - भगवान कृष्ण की पूजा करें
- चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद श्रीकृष्ण जी का जन्मोत्सव मनाएं।
- उन्हें पंचामृत स्नान कराएं, वस्त्र, आभूषण और माखन-मिश्री अर्पित करें।
- रात्रि में भजन-कीर्तन करें
- चंद्रोदय और पूजा के बाद पूरी रात कृष्ण भक्ति में बिताएं।
- मंदिरों में झांकियां, मटकी फोड़ और भजन संध्या का आयोजन होता है।
- व्रत पारण (अगले दिन)
- अगली सुबह स्नान करके व्रत का पारण करें।
- दान-पुण्य करना और गरीबों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।
जन्माष्टमी पर व्रत और पूजा का महत्व
- जन्माष्टमी का व्रत रखने से संतान सुख, वैवाहिक जीवन की सुख-शांति और धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने और रात को भजन-कीर्तन करने से भगवान कृष्ण स्वयं प्रसन्न होते हैं।
- चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन की शांति और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
निष्कर्ष
Krishna Janmashtami 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि भक्ति, प्रेम और आस्था का उत्सव है। इस बार 16 अगस्त की रात को जब चंद्रमा का दर्शन होगा, तभी हर जगह भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।