भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार विवाद (Trade Dispute) ने एक नया मोड़ ले लिया। दोनों देशों ने एक-दूसरे के कुछ प्रमुख उत्पादों पर अतिरिक्त आयात शुल्क (Tariff) लगाने की घोषणा की, जिससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता देखी जा रही है। अमेरिका ने भारत से आने वाले स्टील, फार्मा और आईटी प्रोडक्ट्स पर शुल्क बढ़ाया है, वहीं भारत ने अमेरिकी कृषि और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर जवाबी कार्रवाई की है।
बाजारों में दिखा असर
ट्रेड टकराव की खबर के बाद भारतीय शेयर बाजार (Sensex & Nifty) में हल्की गिरावट दर्ज की गई। रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ। सोने और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा गया। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह विवाद लंबे समय तक चला, वैश्विक सप्लाई चेन और निर्यात क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
दोनों देशों की स्थिति
अमेरिकी व्यापार विभाग का कहना है कि भारत कुछ तकनीकी और कृषि उत्पादों पर अनुचित व्यापार नीति अपना रहा है, जबकि भारत सरकार का दावा है कि ये आरोप गलत हैं और देश का उद्देश्य केवल घरेलू उद्योगों की सुरक्षा है। भारत ने WTO (विश्व व्यापार संगठन) के समक्ष इस मुद्दे को उठाने की बात कही है।
वैश्विक बाजार की प्रतिक्रिया
एशियाई और यूरोपीय बाजारों में भी इस विवाद का असर देखने को मिला। हांगकांग, टोक्यो और लंदन के शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज हुई, जबकि निवेशकों ने सुरक्षित निवेश (Safe Assets) जैसे सोना और अमेरिकी बॉन्ड्स की ओर रुख किया।
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत और अमेरिका दोनों ही एक-दूसरे के लिए बड़े व्यापारिक साझेदार हैं, इसलिए यह विवाद लंबे समय तक टिकेगा नहीं। अगर संवाद और सहयोग बढ़ाया गया तो आने वाले महीनों में नया व्यापार समझौता (Trade Pact) बन सकता है, जिससे स्थिति फिर सामान्य हो सकती है।