भारत ने एक बार फिर साबित किया कि वह Digital Payment के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व कर रहा है। सितंबर 2025 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए रिकॉर्ड 18.2 अरब ट्रांजैक्शन दर्ज किए गए। यह अब तक का सबसे ऊँचा आँकड़ा है, जो पिछले साल की तुलना में 25% अधिक है।
NPCI और RBI का बयान
नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने बताया कि “UPI अब न केवल शहरी भारत में, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यह भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार का सबसे बड़ा संकेत है।” वहीं RBI ने कहा कि देश में नकद लेन-देन लगातार घट रहे हैं और डिजिटल भुगतान अब “आर्थिक विकास का इंजन” बन चुका है।
UPI का ग्लोबल विस्तार
भारत का UPI अब केवल घरेलू ही नहीं रहा — सिंगापुर, UAE, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों में भी भारतीय पर्यटक और प्रवासी इसका उपयोग कर पा रहे हैं। इससे भारत का फिनटेक इन्फ्लुएंस ग्लोबली बढ़ रहा है।
डिजिटल पेमेंट की वृद्धि के प्रमुख कारण
- सरकारी पहल: डिजिटल इंडिया और पेमेंट्स बैंक अभियान
- आसान एक्सेस: हर मोबाइल यूजर तक UPI ऐप की पहुँच
- कैशबैक और इनाम योजनाएँ: गूगल पे, फोनपे, पेटीएम जैसे ऐप्स की मार्केटिंग
- ग्रामीण डिजिटलीकरण: CSC और जन सुविधा केंद्रों के माध्यम से डिजिटल ट्रेनिंग
व्यापारियों और ग्राहकों को लाभ
डिजिटल पेमेंट से छोटे व्यापारियों को तेज़ और सुरक्षित भुगतान मिल रहा है। ग्राहकों को 24×7 लेनदेन की सुविधा के साथ ट्रांजैक्शन ट्रैकिंग की पारदर्शिता मिली है। सरकार को टैक्स पारदर्शिता और ब्लैक मनी पर नियंत्रण में मदद मिल रही है।
भविष्य की दिशा: UPI 2.0 और इंटरनेशनल कनेक्टिविटी NPCI अब UPI को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और आगे बढ़ाने की तैयारी में है। UPI 2.0 में मल्टी-करेंसी सपोर्ट और क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजैक्शन की सुविधा जोड़ी जाएगी। इससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2026 तक $1 ट्रिलियन वैल्यू तक पहुँच सकती है।
Digital भारत की असली पहचान
भारत में डिजिटल पेमेंट का नया रिकॉर्ड यह दिखाता है कि देश अब नकदी आधारित नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी संचालित अर्थव्यवस्था बन चुका है। UPI ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े फिनटेक इनोवेशन हब के रूप में स्थापित किया है।