Hindi Diwas 2025: राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिंदी दिवस केवल भाषा के गौरव का पर्व नहीं है, बल्कि यह उन रचनाकारों को भी याद करने का अवसर है जिन्होंने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। जब हम साहित्य की बात करते हैं तो महिला लेखिकाओं का योगदान अनदेखा नहीं किया जा सकता। समाज की रूढ़ियों, परंपराओं और सीमाओं को लांघते हुए महिलाओं ने अपनी लेखनी से साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। साथ ही महिला सशक्तिकरण की राह भी दिखाई।
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हिंदी साहित्य के आरंभिक दौर में महिला लेखिकाओं की संख्या बहुत कम थी। लेकिन महादेवी वर्मा, सुभद्राकुमारी चौहान, अमृता प्रीतम, मनु भंडारी जैसी तमाम महिला लेखिकाओं ने लेखन क्षेत्र में स्त्रियों की स्थिति को प्रोत्साहित किया। हिंदी दिवस 2025 पर आइए जानते हैं हिंदी साहित्य में महिला लेखिकाओं के अमूल्य योगदान के बारे में।
हिंदी साहित्य की 10 प्रमुख महिला लेखिकाएं और उनका योगदान
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा की रचनाएं हैं यामा, दीपशिखा, निहार। इन्हें आधुनिक मीरा कहा जाता है। नारी जीवन की पीड़ा, संवेदनशीलता और स्वतंत्रता की खोज उनकी रचनाओं में झलकती है।
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सुभद्राकुमारी चौहान
सुभद्राकुमारी चौहान की रचना झांसी की रानी, मुकुल आदि काफी प्रसिद्ध हुईं। उनकी कविता खूब लड़ी मर्दानी आज भी स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है। वे क्रांतिकारी और जोशीली कविताओं के लिए जानी जाती हैं।
अमृता प्रीतम
पंजाबी और हिंदी साहित्य की मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम ने पिंजर और कागज़ ते कैनवास जैसी खूबसूरत रचनाएं दीं। पिंजर उपन्यास में उन्होंने विभाजन की त्रासदी और स्त्री की पीड़ा का मार्मिक चित्रण किया।
कृष्णा सोबती
कृष्णा सोबती ने ज़िंदगीनामा और मित्रो मरजानी लिखी। उन्होंने स्त्री की यथार्थवादी छवि और ग्रामीण जीवन के संघर्षों को सशक्त ढंग से साहित्य में उकेरा।
मन्नू भंडारी
आधुनिक हिंदी कथा साहित्य में मन्नू भंडारी ने नई जमीन तैयार की। उनके उपन्यासों में स्त्री-पुरुष संबंधों और समाज की विसंगतियों का गहरा चित्रण है। उन्होंने आपका बंटी, महाभोज जैसी रचनाओं से अपने लेखन कौशल का उत्कृष्ट नमूना पेश किया।