GST काउंसिल की 56वीं बैठक 12 दिन बाद यानी 3 और 4 सितंबर को दिल्ली में होने वाली है। इस बैठक में सरकार जीएसटी के ढांचे को सरल और उपभोक्ता-अनुकूल बनाने पर विचार करेगी। इसके तहत जीएसटी स्लैब को कम करने और कुछ वस्तुओं पर टैक्स में बदलाव की योजना बनाई जा रही है।
सरकार का प्रस्ताव: सिर्फ दो स्लैब
वर्तमान में भारत में कई तरह के GST स्लैब हैं। सरकार का प्रस्ताव है कि इन्हें केवल दो स्लैब में बांटा जाए:
- पहला स्लैब 5%
- दूसरा स्लैब 18%
इसके अलावा, जो चीजें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जाती हैं, जैसे शराब, सिगरेट आदि, उन पर 40% का विशेष टैक्स लगाया जाएगा। इन वस्तुओं को ‘सिन गुड्स (Sin Goods)’ कहा जाता है।
एक सरकारी मेमोरेंडम के अनुसार, जीएसटी परिषद जीवन बीमा (Life Insurance) को भी जीएसटी से छूट देने पर विचार कर रही है। यह छूट व्यक्तियों के लिए लागू होगी।
नेक्स्ट-जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म्स
सरकार जीएसटी में बड़े बदलाव करने की योजना पर काम कर रही है, जिसे ‘नेक्स्ट-जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म्स’ कहा जा रहा है। इस योजना के तहत:
- वर्तमान 12% और 28% स्लैब को समाप्त किया जाएगा।
- कंपनसेशन सेस भी बंद करने पर विचार किया जा रहा है।
कंपनसेशन सेस एक ऐसा टैक्स है जो राज्यों को GST लागू होने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए दिया जाता है। इसे बंद करने से राज्यों की वित्तीय योजना प्रभावित हो सकती है, लेकिन केंद्रीय सरकार का कहना है कि इससे GST ढांचे में सरलता और पारदर्शिता बढ़ेगी।
उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर असर
- उपभोक्ताओं के लिए फायदा: सामान और सेवाओं की कीमतें घट सकती हैं, जिससे खरीदी आसान होगी।
- व्यवसायों के लिए फायदा: सरल GST ढांचे से टैक्स अनुपालन आसान होगा और कंपनियों का प्रशासनिक खर्च कम होगा।
- राज्यों पर असर: कंपनसेशन सेस हटने से कुछ राज्यों के राजस्व में कमी आ सकती है, लेकिन सरकार इसे संतुलित करने के उपाय पर विचार कर रही है।
निष्कर्ष
3 और 4 सितंबर को होने वाली GST काउंसिल की बैठक भारतीय अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि प्रस्तावित स्लैब और छूट मंजूर होती हैं, तो यह खरीदारी, व्यापार और आर्थिक गतिविधियों में नए उत्साह का कारण बनेगी।
अधिक जानकारी के लिए देखें: CBIC Official GST Updates
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