डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने भारतीय वायुसेना के साथ मिलकर 32,000 फीट की ऊंचाई से मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण भारत की सैन्य तैयारी और तकनीकी आत्मनिर्भरता को नई ऊँचाई पर ले जाता है। DRDO के वैज्ञानिकों ने इसे अत्याधुनिक तकनीक और नवीनतम डिजाइन के साथ तैयार किया, ताकि पैराशूट की स्टेबिलिटी, सटीक लैंडिंग और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
पैराशूट तकनीक और विशेषताएँ
इस नए मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट की प्रमुख विशेषताएँ हैं: अत्यधिक ऊँचाई से सुरक्षित लैंडिंग: 32,000 फीट की ऊँचाई पर भी पैराशूट सुरक्षित और नियंत्रित ढंग से खुलता है।
- सटीक लक्ष्य हिटिंग: सैनिक निर्धारित ज़ोन पर सटीक उतर सकते हैं।
- सुरक्षा और स्थिरता: उन्नत हवाई और मौसम संवेदनशील तकनीक से सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- लाइटवेट और पोर्टेबल डिजाइन: पैराशूट को आसानी से सैनिकों के उपकरणों के साथ जोड़ा जा सकता है।
युद्ध की स्थिति में विदेशी निर्भरता को कम करेगी
मंत्रालय के अनुसार मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम के सफल परीक्षण ने स्वदेशी पैराशूट प्रणालियों के व्यापक उपयोग का मार्ग प्रशस्त किया है। यह प्रणाली न केवल कम रखरखाव समय और लागत के कारण आयातित उपकरणों की तुलना में अधिक उपयोगी साबित होगी, बल्कि संघर्ष या युद्ध की स्थिति में विदेशी निर्भरता को भी कम करेगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और भारतीय उद्योग जगत को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
वहीं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने इस परीक्षण से जुड़ी डीआरडीओ टीम की सराहना की और कहा कि यह एरियल डिलीवरी सिस्टम्स में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सफलता भारत की तकनीकी उत्कृष्टता, स्वदेशी नवाचार और आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता का प्रतीक है, जो सशस्त्र बलों की परिचालन दक्षता को नए आयाम प्रदान करेगी।
सैन्य और रणनीतिक महत्व
विशेषज्ञों के अनुसार, यह परीक्षण भारतीय वायुसेना के मिशन ऑपरेशन्स में गेम-चेंजर साबित हो सकता है। उच्च ऊँचाई से पैराशूट ड्रोप का मतलब है कि सैनिक कठिन और दुर्गम इलाके में भी तेज और सुरक्षित पहुंच सकते हैं। यह तकनीक आतंकवाद-रोधी अभियान, हाइब्रिड वारफेयर और विशेष ऑपरेशन में रणनीतिक लाभ प्रदान करेगी।
DRDO की उपलब्धियाँ और तकनीकी प्रगति
DRDO लगातार भारत की रक्षा में नई तकनीक विकसित कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में DRDO ने:
- हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट सफलतापूर्वक किए।
- लॉन्ग रेंज ड्रोन टेक्नोलॉजी विकसित की।
- एडवांस्ड मिलिट्री कम्युनिकेशन सिस्टम तैयार किया।
इस पैराशूट परीक्षण से DRDO का यह मिशन और मजबूत हुआ कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर और विश्वस्तरीय तकनीक वाला देश बनाया जाए।
सफल परीक्षण पर विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि 32,000 फीट की ऊँचाई से पैराशूट परीक्षण की सफलता भारतीय सेना की ताकत और विश्वसनीयता को बढ़ाएगी। विशेषज्ञों ने इसे विशेष ऑपरेशन और हाई रिस्क मिशन में क्रांतिकारी बदलाव बताते हुए कहा कि यह तकनीक भविष्य में भारतीय रक्षा को और मजबूत करेगी।