जलवायु परिवर्तन आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, और भारत जैसे विशाल देश के लिए इसका प्रभाव बेहद गंभीर है। बढ़ते तापमान, अनियमित मानसून, बाढ़ और सूखे जैसी घटनाएँ न केवल पर्यावरण बल्कि कृषि, अर्थव्यवस्था और जनजीवन को भी प्रभावित कर रही हैं। भारत सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए एक नई जलवायु नीति (National Climate Policy 2025) लागू की है, जो विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन साधने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नई नीति की मुख्य विशेषताएँ
भारत की नई जलवायु नीति का मुख्य लक्ष्य 2050 तक नेट-ज़ीरो एमिशन (Net-Zero Emission) हासिल करना है।नीति के अंतर्गत सरकार ने निम्नलिखित प्रमुख कदमों की घोषणा की है —
ग्रीन एनर्जी विस्तार: देश में सौर, पवन और जल ऊर्जा के उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
कार्बन टैक्स और ग्रीन सर्टिफिकेट सिस्टम: उद्योगों पर कार्बन उत्सर्जन की सीमा तय की जाएगी और ग्रीन एनर्जी उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट: इलेक्ट्रिक वाहनों और सार्वजनिक परिवहन में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाया जाएगा।
वन क्षेत्र का विस्तार: अगले पाँच वर्षों में 10 करोड़ पेड़ लगाने का राष्ट्रीय लक्ष्य तय किया गया है।
नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की छलांग
भारत पहले ही सौर ऊर्जा उत्पादन में विश्व के शीर्ष देशों में शामिल हो चुका है। 2025 में सौर ऊर्जा क्षमता 200 GW पार कर चुकी है। इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) की पहल के जरिए भारत अब एशिया और अफ्रीका के देशों को भी स्वच्छ ऊर्जा अपनाने में मदद कर रहा है। इससे न केवल कार्बन उत्सर्जन घट रहा है, बल्कि रोजगार और ग्रामीण विकास के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
कृषि क्षेत्र में जलवायु-अनुकूल बदलाव
नई नीति के तहत किसानों को क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर (Climate-Smart Agriculture) अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। AI और डेटा एनालिटिक्स की मदद से मौसम आधारित खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे फसल नुकसान घटे और उत्पादकता बढ़े। साथ ही, ऑर्गेनिक खेती और जल-संरक्षण तकनीक पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
शहरों के लिए ग्रीन अर्बन डेवलपमेंट प्लान
भारत की नई नीति के तहत सभी महानगरों में ग्रीन बिल्डिंग कोड लागू किया गया है। अब सरकारी भवनों में सोलर पैनल, वर्षा जल संचयन, और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली अनिवार्य होगी। इससे शहरी प्रदूषण घटेगा और ऊर्जा उपयोग अधिक कुशल बनेगा।
आर्थिक प्रभाव और ग्रीन फंडिंग
सरकार ने जलवायु नीति के लिए एक “ग्रीन क्लाइमेट फंड” बनाया है, जिसमें 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। यह राशि नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं, वनीकरण और स्वच्छ तकनीक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने में उपयोग की जाएगी इसके अलावा, विदेशी निवेशकों को भी भारत के ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
जन जागरूकता और शिक्षा पर फोकस
नई नीति में पर्यावरण शिक्षा को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। सरकार “हर घर हरित अभियान” के तहत लोगों को ऊर्जा बचत, प्लास्टिक-मुक्त जीवन और रिसाइक्लिंग के लिए प्रेरित कर रही है। युवा पीढ़ी को “ग्रीन इनोवेशन” में शामिल करने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर जलवायु उद्यमिता कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।
वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका
भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में सशक्त नेतृत्व दिखाया है। COP30 सम्मेलन में भारत ने घोषणा की थी कि वह 2030 तक 50% ऊर्जा जरूरतें नवीकरणीय स्रोतों से पूरी करेगा। यह कदम भारत को वैश्विक जलवायु प्रयासों में “सस्टेनेबल लीडर” के रूप में स्थापित कर रहा है।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की यह नीति न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक उदाहरण बनेगी। यदि नीति का प्रभावी क्रियान्वयन हुआ, तो भारत अगले दशक में ग्रीन इकॉनमी के अग्रणी देशों में शामिल हो सकता है।