केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र को जोड़ने वाली 84 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन परियोजना को मंजूरी दे दी है। यह रेलवे प्रोजेक्ट न केवल दोनों राज्यों के बीच कनेक्टिविटी और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। इस परियोजना को प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत विशेष महत्व दिया गया है।
रेलवे परियोजना का विवरण: विकास की नई पटरी
नई रेल लाइन का निर्माण अर्जुनी (महाराष्ट्र) से कवर्धा (छत्तीसगढ़) के बीच किया जाएगा। कुल 84 किमी लंबी इस लाइन की लागत लगभग ₹1,250 करोड़ बताई जा रही है। परियोजना पूरी होने के बाद छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिलों में तेज़ परिवहन, बेहतर व्यापारिक पहुंच और रोजगार के अवसरों में इज़ाफा होगा। रेल मंत्रालय के अनुसार, इस परियोजना से मालगाड़ी परिवहन में भी आसानी होगी, जिससे औद्योगिक उत्पादन और लॉजिस्टिक नेटवर्क को नई दिशा मिलेगी।
किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वरदान साबित होगी रेल लाइन
नई रेल लाइन से ग्रामीण इलाकों के किसानों को फसल परिवहन और बाजार तक पहुंचने में बड़ी राहत मिलेगी। पहले जहां किसानों को अपने उत्पादों को भेजने में अधिक समय और लागत लगती थी, वहीं अब तेज़ और सस्ता परिवहन माध्यम उपलब्ध होगा। इसके अलावा, आसपास के गांवों में रेलवे स्टेशन और रोजगार के अवसर बढ़ने की संभावना है।
रोजगार और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा
रेलवे लाइन के निर्माण से न केवल कनेक्टिविटी सुधरेगी बल्कि हजारों स्थानीय युवाओं को निर्माण और रखरखाव में रोजगार मिलेगा। परियोजना से छोटे उद्योग, खनन व्यवसाय, और परिवहन सेवाओं में तेजी आएगी। केंद्र सरकार का मानना है कि यह परियोजना “स्थानीय विकास के साथ राष्ट्रीय प्रगति का प्रतीक” बनेगी।
पर्यटन को नई रफ्तार
छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कई ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल इस रेल लाइन से सीधे जुड़े होंगे। इससे दोनों राज्यों के टूरिज्म सेक्टर को नया जीवन मिलेगा। कवर्धा के भोरमदेव मंदिर और महाराष्ट्र के नागभीड़ किला क्षेत्र तक यात्रियों की पहुंच आसान होगी, जिससे क्षेत्रीय पर्यटन को आर्थिक लाभ होगा।
परियोजना की समयसीमा और प्रगति
रेल मंत्रालय ने बताया कि इस परियोजना का काम 2026 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
कार्य को तीन चरणों में बांटा गया है –
- सर्वेक्षण और भूमि अधिग्रहण
- रेल ट्रैक निर्माण और स्टेशन विकास
- सिग्नलिंग और इलेक्ट्रिफिकेशन
सभी कार्यों की निगरानी विशेष कमेटी द्वारा की जाएगी ताकि समय पर परियोजना पूरी हो सके।
कनेक्टिविटी से बढ़ेगा व्यापार और सौहार्द
यह रेल लाइन दोनों राज्यों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेगी जहां महाराष्ट्र के उद्योगपति छत्तीसगढ़ के संसाधनों तक आसानी से पहुंच पाएंगे, वहीं छत्तीसगढ़ के व्यापारी भी मुंबई और नागपुर जैसे बड़े बाजारों से सीधा जुड़ सकेंगे। यह पहल न केवल परिवहन व्यवस्था को आधुनिक बनाएगी बल्कि ‘वन नेशन, वन नेटवर्क’ की भावना को भी सशक्त करेगी।