भारतीय शेयर बाजार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। foreign investors (Foreign Institutional Investors – FIIs) ने बीते 9 कारोबारी दिनों में 27,000 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की है। इससे निवेशकों के बीच चिंता और अस्थिरता का माहौल बन गया है।
सबसे चिंताजनक आंकड़ा अगस्त 2025 में FIIs का लॉन्ग-टू-शॉर्ट रेशियो 0.11 तक गिरना है, जो मार्च 2023 के बाद का सबसे निचला स्तर है। पिछले बार यह आंकड़ा 0.61 था, लेकिन अब निवेशकों के 90% सौदे सिर्फ बिकवाली से जुड़े हैं।
क्यों बिक रहे हैं भारतीय शेयर?
1. कमजोर तिमाही नतीजे:
भारतीय कंपनियों का पहली तिमाही का प्रदर्शन उम्मीद से कमजोर रहा है। IT सेक्टर में 10% की गिरावट आई है और निफ्टी बैंक लगभग फ्लैट है। टॉप 9 प्राइवेट बैंकों की ग्रोथ केवल 2.7% दर्ज की गई है।
2. ट्रंप का टैरिफ शॉक:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसकी प्रतिक्रिया में गुरुवार को ही FIIs ने 5,600 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की।
3. डॉलर की ताकत:
डॉलर इंडेक्स 100 के पार पहुंच गया है, और यह इस सप्ताह 2.5% मजबूत हुआ है — जो पिछले तीन वर्षों का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इससे foreign investors को भारत की जगह अमेरिका और चीन जैसे बाजार ज्यादा आकर्षक लग रहे हैं।
वैश्विक कारक भी जिम्मेदार
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA के विश्लेषक विकास जैन का मानना है कि ट्रंप के बयानों के चलते भारत की अमेरिका और रूस दोनों के साथ व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ सकता है। उन्होंने चेताया कि इससे बाजार की अनिश्चितता और बढ़ सकती है।
दूसरी ओर, सनड्रेम म्यूचुअल फंड के CEO सुनील सुब्रमण्यम का कहना है कि FIIs पहले से ही बिकवाली कर रहे थे। उन्हें अनुमान था कि भारत को BTA (बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट) का फायदा नहीं मिलेगा। इसके अलावा चीन के शेयर सस्ते हो गए हैं और वहां की अर्थव्यवस्था में 4.8% तक की संभावित ग्रोथ भी foreign investors को लुभा रही है।