रायपुर: भारत सरकार की भारतमाला परियोजना (रायपुर–विशाखापट्टनम हाईवे निर्माण) से जुड़ा एक बड़ा मुआवज़ा घोटाला सामने आया है। रायपुर स्थित विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) में करीब 7,500 पृष्ठों का पहला अभियोग पत्र दाखिल किया गया है। यह चालान अपराध क्रमांक 30/2025 से संबंधित है, जिसमें कई राजस्व अधिकारी और निजी व्यक्ति शामिल हैं। लोक सेवक अभियुक्तों में गोपाल राम वर्मा और नरेन्द्र कुमार नायक के नाम प्रमुख हैं, जबकि निजी आरोपियों में उमा तिवारी, केदार तिवारी, हरमीत सिंह खनूजा, विजय कुमार जैन, खेमराज कोशले, पुनुराम देशलहरे, भोजराम साहू और कुंदन बघेल शामिल हैं। इन सभी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468, 471, 420, 409, 120-बी सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) की धाराएं लगाई गई हैं।
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तीन स्तरों पर घोटाले का खुलासा
प्राथमिक जांच में तीन मुख्य प्रकरणों की विवेचना की गई है- ग्राम नायकबांधा, टोकरो और उरला में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में फर्जी बंटवारा और नामांतरण, नायकबांधा जलाशय से संबंधित पूर्व अधिग्रहित भूमि का पुनः मुआवज़ा भुगतान, और उमा तिवारी के नाम पर फर्जी दस्तावेज़ों से भूमि नामांतरण और मुआवज़ा वसूली।
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जांच में पाया गया कि राजस्व अधिकारियों और दलालों ने बैक डेट में फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर भूमि का बंटवारा और नामांतरण करवाया, जिसके जरिए अधिक मुआवज़ा हासिल किया गया। इस प्रक्रिया से शासन को लगभग ₹28 करोड़ का नुकसान हुआ। वहीं, नायकबांधा जलाशय से संबंधित प्रकरण में पहले से अधिग्रहित भूमि पर पुनः मुआवज़ा भुगतान कर ₹2 करोड़ की हानि पहुंचाई गई। तीसरे प्रकरण में उमा तिवारी के माध्यम से फर्जी दस्तावेज़ों द्वारा ₹2 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। इस प्रकार शासन को कुल मिलाकर लगभग ₹32 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है।