बिहार की राजनीति में नया अध्याय लिखने वाले प्रशांत किशोर (PK) के जनसुराज आंदोलन ने 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ तेज़ कर दी हैं। संगठन की शुरुआती नींव रखने वाले प्रमुख सदस्यों में से एक को पार्टी ने पहला चुनावी टिकट देकर एक बड़ा संदेश दिया है — “जो संगठन बनाते हैं, वही उसका नेतृत्व करेंगे।”
जनसुराज की नींव रखने वालों को मिला सम्मान
जनसुराज आंदोलन की शुरुआत 2022 में बिहार के गाँव-गाँव तक “जन संवाद यात्रा” से हुई थी। तब कई युवा, सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षित ग्रामीण इस अभियान से जुड़े। इन्हीं में से एक प्रमुख कार्यकर्ता, जिन्होंने संगठन को जमीनी स्तर पर खड़ा किया, को अब विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया गया है। यह निर्णय पार्टी के भीतर कार्यकर्ताओं के उत्साह को बढ़ाने वाला माना जा रहा है।
प्रशांत किशोर का बयान — ‘संगठन से बड़ा कोई नहीं’
पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा,
जनसुराज का मकसद सत्ता नहीं, व्यवस्था बदलना है। जिन्होंने इस आंदोलन को बनाया, वही इसका भविष्य तय करेंगे।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि टिकट वितरण पूरी तरह काम और योगदान के आधार पर होगा, न कि पद या पहचान के आधार पर।
राजनीतिक संदेश और रणनीति
प्रशांत किशोर का यह कदम न केवल संगठनात्मक अनुशासन को मजबूत करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जनसुराज की राजनीति “नई शैली” पर आधारित है — जहाँ कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाती है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस रणनीति से PK अपने विरोधियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे “भीतर से लोकतांत्रिक” राजनीति कर रहे हैं।
कार्यकर्ताओं में उत्साह और उम्मीद
पहले टिकट की घोषणा के बाद जनसुराज के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर “#JansurajFirstTicket” ट्रेंड कर रहा है। संगठन के युवा कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह सिर्फ़ शुरुआत है, अब जनसुराज अपने असली मिशन की तरफ बढ़ रहा है — “बदलाव की राजनीति।”