बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान के सख्त तेवर ने NDA खेमे में हलचल मचा दी है। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सीट बंटवारे को लेकर चल रही चर्चा अब राजनीतिक तनाव का कारण बनती जा रही है। चिराग का साफ संदेश है कि उनकी पार्टी को “सम्मानजनक हिस्सेदारी” मिले, वरना वे अलग रास्ता भी चुन सकते हैं।
NDA में सीट बंटवारे को लेकर मतभेद
बिहार NDA में सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद लगातार बढ़ते दिख रहे हैं। भाजपा, जदयू और लोजपा (रामविलास) के बीच बातचीत के कई दौर हो चुके हैं, लेकिन अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान अपनी पार्टी के लिए 30 से ज़्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि भाजपा और जदयू उन्हें इससे कम सीटें देने के पक्ष में हैं।
चिराग के सख्त बयान से बढ़ी हलचल
हाल ही में चिराग पासवान ने एक बयान में कहा कि “सम्मान के साथ रहना चाहते हैं, लेकिन सम्मान अगर न मिले तो हम अपने रास्ते खुद तय करना जानते हैं।
उनके इस बयान के बाद NDA के भीतर अटकलों का दौर तेज हो गया है। कई राजनीतिक विश्लेषक इसे सीट बंटवारे में दबाव बनाने की रणनीति मान रहे हैं।
भाजपा और जदयू की स्थिति
भाजपा फिलहाल स्थिति को संभालने की कोशिश में है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि चिराग पासवान की पार्टी का युवा वोट बैंक में प्रभाव है और उन्हें साथ रखना चुनावी दृष्टि से जरूरी है। वहीं जदयू का रुख अपेक्षाकृत सख्त है। सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार नहीं चाहते कि लोजपा (रामविलास) को ज्यादा सीटें दी जाएँ, खासकर उन इलाकों में जहाँ जदयू की पारंपरिक पकड़ है।
राजनीतिक समीकरणों में नया मोड़ संभव
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि अगर NDA में सहमति नहीं बनती, तो चिराग पासवान अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर सकते हैं। इससे वोटों का बिखराव होने की संभावना बढ़ जाएगी, जो NDA के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान की विरासत को मजबूत करने के लिए सख्त रुख अपनाए हुए हैं।
जनता की नज़र में चिराग की छवि
युवाओं और पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं के बीच चिराग पासवान की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। उनकी पार्टी विकास, रोज़गार और युवाओं की भागीदारी जैसे मुद्दों पर ज़ोर दे रही है। यही कारण है कि भाजपा भी उन्हें नाराज़ करने का जोखिम नहीं लेना चाहती।