रायपुर: राजधानी में नशे के बढ़ते कारोबार को लेकर एक समय पुलिस की बड़ी कार्रवाई और कड़ी जांच की चर्चाएं थीं, लेकिन अब वही जांच धीमी होती नज़र आ रही है। हाल ही में पुलिस द्वारा पकड़े गए अंतर्राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क के कई आरोपियों ने रिमांड अवधि के दौरान बड़े नामों का खुलासा किया था। उन नामों में कुछ रसूखदार और प्रभावशाली व्यक्तियों के शामिल होने की बात सामने आई थी। इसके बावजूद जांच की रफ्तार थम सी गई है। यही कारण है कि पूरे मामले को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या पुलिस और प्रशासन ऊपरी दबाव में काम कर रहे हैं या फिर जांच को जानबूझकर ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है।
मुंगेली पुलिस का चेतावनी संदेश: पालतू पशु खुला छोड़ने वाले मालिकों पर होगी सख्त कार्रवाई
रसूखदारों के नाम पर थमी रफ्तार
सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ के दौरान जिन व्यक्तियों के नाम लिए, उनमें कारोबार और राजनीति से जुड़े कुछ बड़े नाम शामिल हैं। इन खुलासों के बाद उम्मीद थी कि राजधानी पुलिस इन सभी संदिग्धों से पूछताछ करेगी और तफ्तीश को आगे बढ़ाएगी। लेकिन बीते कई सप्ताह से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जानकारों का कहना है कि मामले में ऊंचे स्तर से दबाव पड़ने के कारण जांच की गति धीमी कर दी गई है।
छोटे तस्करों पर ही कार्रवाई
वहीं, दूसरी ओर राजधानी पुलिस छोटे स्तर के नशा तस्करों पर बुलडोज़र चलाकर अपनी पीठ थपथपाने में जुटी हुई है। हाल ही में खमतराई इलाके में नगर निगम और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में कई बंद पड़े मकानों को यह कहते हुए तोड़ दिया गया कि ये मकान नशे के कारोबार से जुड़े हुए हैं। पुलिस का दावा है कि इन मकानों का उपयोग नशे की सप्लाई और स्टोरेज के लिए किया जाता था। हालांकि स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन मकानों पर किसी ठोस सबूत के बिना कार्रवाई की गई है। कई जगह तो घरों के मालिक लंबे समय से शहर से बाहर रह रहे थे और उन्हें नोटिस तक नहीं दिया गया।
बुलडोज़र कार्रवाई पर सवाल
इस तरह की कार्रवाई पर कई नागरिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि बिना न्यायिक आदेश और पर्याप्त सबूत के केवल संदेह के आधार पर संपत्तियों को गिराना कानून के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। कार्रवाई का तरीका भी विवादों में है क्योंकि जिन मकानों को नशे के अड्डे बताकर गिराया गया, उनमें से कई पर पुलिस पहले कभी किसी आपराधिक मामले में पहुंची तक नहीं थी। विपक्षी दलों ने भी इसे “दिखावटी कदम” बताते हुए कहा है कि इससे असली अपराधियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
शिफ्टिंग से पहले ही शराब दुकान के खिलाफ भड़का विरोध, इलाके में तनाव
पुलिस और निगम की सफाई
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कार्रवाई पूरी तरह से नियमों के तहत की गई है और जिन मकानों को ढहाया गया, उनके खिलाफ पुख्ता शिकायतें मिली थीं। वहीं नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि अवैध निर्माण और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त संपत्तियों पर प्रशासनिक अधिकारों के तहत बुलडोज़र चलाया गया। अधिकारियों का यह भी दावा है कि नशा तस्करी की रोकथाम के लिए आगे भी इसी तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।
नागरिकों की मांग – पारदर्शी जांच
स्थानीय नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि पूरे मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच होनी चाहिए। उनका कहना है कि यदि गिरफ्तार आरोपियों ने बड़े नामों का खुलासा किया है तो उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या पुलिस केवल छोटे अपराधियों पर ही सख्ती दिखाकर अपनी सफलता का दावा कर रही है, जबकि असली सरगनाओं को बचाया जा रहा है।