Depression in Women: हमारे समाज में अक्सर मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) की बातें पीछे छूट जाती हैं. लेकिन हकीकत यह है कि मानसिक बीमारियां किसी भी शारीरिक बीमारी से कम खतरनाक नहीं होतीं. हाल ही में WHO Report ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हैं.
अब आप सोच रहे होंगे कि, आखिर ऐसा कैसे हो सकता है. क्योंकि महिलाएं तो अक्सर ऑल-राउंडर होती हैं, कोई संभालने या नहीं, वे हर चीज संभाल लेती हैं. लेकिन शायद हम गलत समझ बैठे हैं, शरीर हर किसी का ऐसा जैसा होता है, ज्यादा काम करने पर हर कोई थकता है. इसलिए सिर्फ महिलाओं को ऑल-राउंडर मानना बंद करना चाहिए.
साल 2021 में दुनिया भर में करीब 58.2 करोड़ महिलाएं किसी न किसी मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रही थीं. इसके मुकाबले पुरुषों की संख्या लगभग 51.39 करोड़ थी.
- खास बात यह है कि 20 से 24 साल की युवा महिलाओं में डिप्रेशन और एंग्जायटी के केस सबसे ज्यादा पाए गए.
- मानसिक स्वास्थ्य का संकट महिलाओं के जीवन में जल्दी दस्तक देता है.
महिलाएं ज्यादा संवेदनशील क्यों होती हैं?
- महिलाओं के शरीर और मन पर कई जैविक और सामाजिक कारण असर डालते हैं.
- पीरियड्स, प्रेग्नेंसी, डिलीवरी के बाद का समय और मेनोपॉज महिलाओं को मानसिक रूप से ज्यादा संवेदनशील बना देते हैं.
- घर और नौकरी की दोहरी जिम्मेदारी तनाव को बढ़ाती है.
- परिवार और समाज की उम्मीदें महिलाओं पर मानसिक बोझ डालती हैं.
डिप्रेशन और एंग्जायटी के आम लक्षण
- नींद न आना या बहुत ज्यादा सोना
- भूख कम होना या ज्यादा खाना
- चिड़चिड़ापन और लगातार उदासी
- ध्यान केंद्रित न कर पाना
मदद लेना क्यों है जरूरी?
- मानसिक स्वास्थ्य की परेशानियों को छिपाना या नजरअंदाज करना सही नहीं है.
- विशेषज्ञों से mental health counseling लेना मददगार हो सकता है.
- परिवार और दोस्तों से खुलकर बातचीत करना emotional support देता है.
WHO के आंकड़े हमें यह बताते हैं कि, महिलाएं मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों से ज्यादा जूझती हैं. इसके पीछे हार्मोनल बदलाव, सामाजिक दबाव और जीवन की परिस्थितियां जिम्मेदार हैं. जरूरी है कि महिलाएं समय रहते इसे पहचानें और बिना झिझक मदद लें.