नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इन दावों को खारिज कर दिया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत-पाक संघर्ष को रोकने के लिए उन्होंने हस्तक्षेप किया था। सिंह ने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की वजह से निलंबित नहीं की गई।
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रक्षा मंत्री ने यहां हैदराबाद मुक्ति दिवस समारोह में अपने संबोधन में कहा कि यदि भविष्य में कोई आतंकी हमला हुआ, तो ऑपरेशन सिंदूर फिर शुरू होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि यह द्विपक्षीय मामला है और कोई तीसरा पक्ष इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग पूछ रहे हैं कि क्या भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम किसी के हस्तक्षेप की वजह से हुआ? मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि आतंकवादियों के खिलाफ अभियान किसी के हस्तक्षेप की वजह से नहीं रुका था।’
राजनाथ ने कहा, ‘कुछ लोग भारत-पाक संघर्ष को रोकने का दावा करते हैं। किसी ने ऐसा नहीं किया। मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने भी साफ किया था कि भारत ने इस मामले में तीसरे पक्ष की भूमिका खारिज कर दी।’
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क्या बोले इशाक डार
अल जजीरा से बातचीत में डार से जब तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘हमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि यह द्विपक्षीय मुद्दा है। हमें भी द्विपक्षीय में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन वार्ता व्यापक होनी चाहिए। इसमें आतंकवाद, व्यापार, अर्थव्यवस्था, जम्मू और कश्मीर इन सभी विषयों पर वार्ता होनी चाहिए।’
उन्होंने आगे कहा, ‘जब 10 मई को सेक्रेटरी रूबियो की तरफ से सीजफायर का ऑफर मेरे पास आया, तो मुझे बताया गया कि जल्द ही भारत और आपके बीच स्वतंत्र मंच पर बातचीत होगी। जब हम 25 जुलाई को मैं और सेक्रेटरी रूबियो वॉशिंगटन में मिले तो मैंने पूछा कि वार्ता का क्या हुआ। इसपर उन्होंने कहा भारत का कहना है कि यह द्विपक्षीय मुद्दा है।’
डार ने कहा, ‘हमने कहा ठीक है। हम किसी चीज के लिए भीख नहीं मांग रहे हैं। अगर कोई देश बातचीत करना चाहता है, तो हम खुश हैं और स्वागत करते हैं। हम शांति पसंद मुल्क हैं। हमारा मानना है कि बातचीत ही आगे बढ़ने का तरीका है, लेकिन ताली एक हाथ से नहीं बजती। तो जब तक भारत बातचीत नहीं करना चाहता, तब तक हम जबरन वार्ता नहीं कर सकते। हम वार्ता थोपना नहीं चाहते।’