Fist Female CJI BV Nagarathna : भारत की न्यायपालिका के इतिहास में वर्ष 2027 एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ने जा रहा है। जिस देश ने सदियों से न्याय और समता की सीख दी, वहां अब पहली बार सर्वोच्च न्यायालय की कमान एक महिला के हाथों में होगी। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना 24 सितंबर 2027 से 29 अक्टूबर 2027 तक भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस (Chief Justise Of India) बनेंगी। यह केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारतीय महिलाओं के लिए न्यायपालिका के उच्चतम स्तर पर प्रतिनिधित्व की ऐतिहासिक जीत है। आइए जानते हैं कौन हैं बीवी नागरत्ना और उनके करियर व उपलब्धि के बारे में जानिए।
कौन हैं बीवी नागरत्ना?
बीवी नागरत्ना का जन्म 30 अक्टूबर 1962 को हुआ। वे पूर्व चीफ जस्टिस इंगलगुप्पे सीतारमैया वेंकटरमैया की बेटी हैं, जिन्होंने 1989 से 1990 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। अपने पिता की विरासत और न्यायप्रियता से प्रेरित होकर उन्होंने कानून की पढ़ाई की और जल्द ही एक कुशल अधिवक्ता और न्यायविद के रूप में पहचान बनाई।
जस्टिस नागरत्ना का न्यायिक करियर
उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। नागरत्ना ने 1987 से कर्नाटक हाईकोर्ट में वकालत से करियर की शुरुआत की। बाद में वे न्यायाधीश बनीं और संवैधानिक, वाणिज्यिक और सामाजिक न्याय से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले सुनाए। उनका दृष्टिकोण हमेशा “न्याय सबके लिए सुलभ होना चाहिए” पर आधारित रहा। उन्होंने महिलाओं के अधिकार, शिक्षा, और सामाजिक समता से जुड़े कई मामलों में प्रगतिशील और दूरदर्शी रुख अपनाया। साल 2008 से 2021 तक वह कर्नाटक हाई कोर्ट में जज रह चुकी हैं। बाद में साल 2021 से वह सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत हैं।
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महिला सशक्तिकरण की मिसाल
भारत में अब तक सुप्रीम कोर्ट में कई महिला जज बनीं, लेकिन किसी महिला को चीफ जस्टिस बनने का अवसर नहीं मिला। नागरत्ना का इस पद पर पहुंचना उन सभी लड़कियों और महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण है जो न्यायपालिका में अपना भविष्य देखती हैं। यह दिखाता है कि महिलाएं केवल समाज का हिस्सा नहीं, बल्कि उसके नेतृत्व की धुरी भी बन सकती हैं।
बीवी नागरत्ना का कार्यकाल
दरअसल अगले आठ वर्षों में सुप्रीम कोर्ट को आठ सीजीआई मिलेंगे। जस्टिस नागरत्ना का कार्यकाल केवल 36 दिन का होगा। वह 24 सितंबर 2027 से 29 अक्टूबर 2027 तक ही इस पद पर रहेंगी। लेकिन यह इतिहास में दर्ज होने वाला निर्णायक समय होगा। उनका कार्यभार न्यायपालिका में लैंगिक समानता की दिशा में बड़ा कदम होगा।