मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले में तेंदुओं का खौफ चरम पर है। हालत ये है कि इटारसी के एक स्कूल में लॉकडाउन लगा दिया गया है। दस दिन की छुट्टी घोषित कर दी गई है और क्लासेस अब ऑनलाइन होंगी। वजह आसपास घूम रहे तेंदुए, जिन्होंने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है। सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व से सटे पथरौटा के पावर ग्रिड परिसर में पिछले आठ दिनों से मादा तेंदुआ और उसके शावक घूम रहे हैं। एक शावक की करंट से मौत के बाद रहवासी और स्कूल के बच्चों में डर और गहरा गया। वन विभाग ने तेंदुओं को परड़ने के लिए पिंजरे लगाए हैं। दिन रात गश्ती हो रही है और लोगों मे खौफ का माहौल है।
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पहले 3 दिन की छुट्टी अब 10 दिन की
तेंदुए की दहशत इतनी हुई की स्कूल प्रबंधन ने पहले तीन दिन की छुट्टी की, लेकिन तेंदुआ पकड़ा नहीं गया। मजबूरन छुट्टियों को 13 सितंबर तक बढ़ाना पड़ा। इतना ही नहीं, इटारसी की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री कैंपस में भी एक तेंदुआ पिछले 5 दिनों से घूम रहा है। उसके फुटप्रिंट हर रोज दिखाई दे रहे हैं। ग्रामीणों में दहशत है और बच्चों का स्कूल जाना अब खतरे से खाली नहीं।
लोग लाठी डंडे लेकर तैनात
तेंदुए की दहशत के चलते लोग अब लाठी डंडे लेकर घरों के आसपास सुरक्षा के लिए तैनात है डर है कि कहीं अपने शावक को ढूंढने आया तेंदुआ उन पर हमला न कर दे। वहीं तेंदुआ तवा बफर रेंज के धांसई में बीते 3 दिनों से घुसकर ग्रामीणों की मुर्गे-मुर्गियों को शिकार बना रहा है। तेंदुए के मूमेंट से एसटीआर ने उसे पकड़ने के लिए फिर से दो पिंजरे लगा दिए हैं
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पहले पकड़ा गया था तेंदुआ
तेंदुआ तमाम नर्मदापुरम इलाके में बेख़ौफ घूम रहा है। इटारसी की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री सड़क से लगे ग्राम पांडरी में 6 दिन पहले 29 अगस्त को सड़क पार करते हुये तेंदुआ नजर आया था। तेदुआ सड़क पार करते हुये सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ है। इस पूरे इलाके में तेंदुए रेस्क्यू के बावजूद फिर से रहवासी इलाकों में पहुंच रहे हैं। क्योकि 22 अगस्त को ही हिरणचापड़ा, खखरापुरा, सहेली समेत 7 गांवों में दहशत फैलाने वाले एक तेंदुए को खखरापुरा गांव के पास लगाए गए पिंजरे में फंसाकर पकड़ा गया था। ये तीसरा मौका था जब इस तेंदुए को पकड़ा गया लेकिन जैसे ही जंगल में छोड़ा गया ये फिर से रहवासी इलाके में पहुंच गया।
क्यों रहवासी इलाके में आ रहे तेंदुए?
इंसानों ने जिस तरह लगातार जंगल, जल और जमीन पर कब्जा कर अपनी सीमाएं बढ़ाई हैं, उसका नतीजा यह है कि तेंदुए जैसे जंगली जानवर अपनी प्राकृतिक बसाहट से दूर होकर गांव और शहरों की तरफ रुख करने को मजबूर हैं। अब चुनौती सिर्फ तेंदुए को सकुशल पकड़ने और जंगल में छोड़ने की नहीं है, बल्कि ग्रामीणों के मन से डर मिटाने की भी है।