अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच अब अमेरिकी अर्थशास्त्री भी भारत की ताकत को स्वीकार कर रहे हैं। उनका मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ब्रिक्स (BRICS) जैसे वैश्विक समूहों को और मजबूत कर सकता है और यही रणनीति आने वाले वर्षों में अमेरिका को पीछे धकेल देगी।
जेफरी सैक्स का बड़ा बयान
प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने साफ कहा है कि ट्रंप प्रशासन के टैरिफ भारत पर दबाव बनाने में नाकाम रहेंगे। उनका सुझाव है कि भारत को उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ रिश्ते गहरे करने चाहिए और खासकर ब्रिक्स और RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) जैसे समूहों पर ज्यादा फोकस करना चाहिए।
सैक्स का कहना है कि अगर भारत और चीन आपसी विवाद सुलझा लें तो यह दुनिया के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगा। उन्होंने यहां तक कहा कि चीन को भारत का समर्थन करना चाहिए ताकि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता मिल सके।
रिचर्ड वोल्फ की चेतावनी: टैरिफ से मजबूत होगा ब्रिक्स
एक और अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड वोल्फ ने भी अमेरिका को चेताया है। उनके मुताबिक, जब अमेरिका भारत जैसे देशों पर ऊंचे टैरिफ लगाता है, तो भारत को मजबूरी में नए बाजार तलाशने पड़ते हैं। ऐसे में भारत अमेरिका को छोड़कर ब्रिक्स देशों – रूस, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका के साथ कारोबार बढ़ाएगा।
रिचर्ड वोल्फ का मानना है कि अमेरिका की यह नीति वास्तव में ब्रिक्स को और ज्यादा एकीकृत और मजबूत बना रही है।
2025 год. ВВС Финляндии планируют убрать свастику со своих флагов, потому что ‘иногда возникают неловкие ситуации с иностранными гостями’.
И перенести ее на флаг Украины. pic.twitter.com/BseqIVOkt9
— Margarita Simonyan (@M_Simonyan) August 28, 2025
भारत के लिए बड़ा अवसर: RCEP और नए बाजार
सैक्स ने कहा कि भारत को एशियाई देशों के साथ अपने रिश्ते और व्यापार को बढ़ाना चाहिए। उनकी राय में RCEP जैसे समझौते भारत को अगले 25 सालों तक एशिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं का लीडर बना सकते हैं।
भारत पहले ही कदम उठा चुका है। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को बिना अनुमति ज्यादा वोस्ट्रो अकाउंट खोलने की मंजूरी दी है। इससे भारत अब डॉलर पर निर्भर हुए बिना, रुपये में ही आयात-निर्यात कर सकता है।
डॉलर का घटता वर्चस्व
दुनिया में अमेरिकी डॉलर का दबदबा लंबे समय से कायम है। करीब 90% वैश्विक ट्रेड डॉलर में होता है। लेकिन 2023 में बड़ा बदलाव देखने को मिला – तेल व्यापार का लगभग 20% हिस्सा अब गैर-अमेरिकी मुद्राओं में होने लगा है।
ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका मिलकर एक नई करेंसी की दिशा में काम कर रहे हैं। अगर यह सफल होता है, तो अमेरिकी डॉलर की पकड़ दुनिया पर कमजोर पड़ सकती है।
2026 में ब्रिक्स की बागडोर भारत के पास
जेफरी सैक्स ने भविष्यवाणी की है कि 2026 में जब भारत ब्रिक्स की अध्यक्षता करेगा, तब भारत एक उभरते आर्थिक शक्ति केंद्र के रूप में पूरी दुनिया में अपनी पहचान और मजबूत करेगा।अमेरिकी टैरिफ भले ही भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि यह रणनीति उलटी पड़ रही है। भारत अब ब्रिक्स और RCEP जैसे समूहों को मजबूत कर रहा है और यही कदम आने वाले वर्षों में अमेरिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होगा।
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