Premanand Maharaj vs Jagadguru Rambhadracharya: विवाद हुआ तीखा, संत समाज दो गुटों में बंटता नजर आया
मथुरा/वृंदावन: उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन में संत प्रेमानंद जी महाराज और जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बीच विवाद गहराता जा रहा है। जहां प्रेमानंद महाराज ने अब तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, वहीं जगद्गुरु ने उनके पुराने बयानों के आधार पर तीखा हमला बोला है। इससे संत समाज दो गुटों में बंटा नजर आ रहा है।
विवाद की शुरुआत कहां से हुई?
दरअसल, हाल के दिनों में लिव-इन रिलेशनशिप और महिलाओं पर टिप्पणियों को लेकर संतों और कथावाचकों के बयानों ने विवाद खड़ा कर दिया। मामला उस वक्त उछला जब कथावाचक स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज ने 16 साल की उम्र में लड़कियों की शादी और 24 साल तक “गलत रिश्तों” में पड़ने जैसी विवादित टिप्पणी की।
इसके बाद संत प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें उन्होंने महिलाओं की पवित्रता और व्यभिचार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर कोई पुरुष या महिला कई रिश्तों में रह चुका है तो वह वैवाहिक जीवन में वफादार नहीं रह सकता। इस बयान पर जमकर विवाद हुआ और मामला कोर्ट तक पहुंच गया।
https://youtu.be/GIrcXMZpK5k?si=lgHo5Kxrd_dl_ozG
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का चैलेंज
इस बीच, तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने एक पॉडकास्ट में प्रेमानंद महाराज पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “बिना किडनी के जीना कोई चमत्कार नहीं है।” साथ ही, उन्होंने चैलेंज देते हुए कहा कि प्रेमानंद महाराज उनके सामने एक अक्षर संस्कृत का बोलकर दिखाएं।
यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और संत समाज में नई बहस छेड़ दी।
बयान पर आई सफाई
जगद्गुरु रामभद्राचार्य के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्रदास ने सफाई देते हुए कहा कि गुरुदेव की बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “जगद्गुरु सबके गुरु हैं और प्रेमानंद जी से उन्हें कोई ईर्ष्या नहीं है। प्रेमानंद महाराज नामजप करने वाले संत हैं और आदर के पात्र हैं।”
वृंदावन कथा के बाद टिप्पणी
हाल ही में वृंदावन में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान भी जगद्गुरु ने कहा था कि “पहले विद्वान संत कथावाचन करते थे, लेकिन आजकल जो पढ़े-लिखे नहीं हैं, वही कथा सुना रहे हैं।” उन्होंने संतों से अधिक अध्ययन और जागरूकता की बात कही।
संत समाज की अलग-अलग राय
इस विवाद पर संत समाज दो हिस्सों में बंटा हुआ है।
- कुछ संतों का कहना है कि प्रेमानंद महाराज भक्तिभाव और प्रेम का प्रचार कर रहे हैं।
- वहीं, कुछ संतों ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बयान का समर्थन किया है।
- कई संतों का मानना है कि विद्वत्ता और भक्ति दोनों की अपनी-अपनी अहमियत है और दोनों को एक ही पैमाने से नहीं तौला जा सकता।
नतीजा: विवाद गहराता जा रहा
हालांकि, प्रेमानंद महाराज अब तक इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। संत समाज में यह बहस तेजी से बढ़ रही है कि आखिर क्या सनातन धर्म के बड़े संतों के बीच इस तरह का टकराव उचित है।
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