Central government लोकसभा में एक नया विधेयक लाने जा रही है, जिसके तहत गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी की स्थिति में PM, CM और मंत्रियों को पद से हटाया जा सकेगा। विपक्ष का आरोप है कि इस विधेयक से तानाशाही बढ़ेगी, क्योंकि इसमें PM की राय को निर्णायक महत्व दिया गया है।
केंद्र सरकार लोकसभा में बुधवार को एक अहम विधेयक (Bill) पेश करने जा रही है, जिसने देश की राजनीति में जोरदार बहस छेड़ दी है। इस विधेयक का उद्देश्य यह है कि यदि प्रधानमंत्री, किसी राज्य के मुख्यमंत्री या जम्मू-कश्मीर समेत किसी भी केंद्रशासित प्रदेश के मंत्री पर गंभीर आपराधिक आरोप लगते हैं और वे गिरफ्तार या हिरासत में लिए जाते हैं, तो उन्हें पद से हटाने का प्रावधान लागू किया जा सके।
जैसे ही इस विधेयक की जानकारी सार्वजनिक हुई, विपक्षी दलों ने सरकार पर तानाशाही की ओर बढ़ने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह विधेयक लोकतंत्र के लिए खतरा साबित हो सकता है, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री की सलाह को अंतिम और निर्णायक मान लिया गया है।
पीएम की ‘सलाह’ पर हटाया जाएगा मंत्री
प्रस्तावित विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई मंत्री गंभीर अपराध (जिनकी सजा 5 साल या उससे अधिक है) में फंसकर लगातार 30 दिनों तक जेल में रहता है, तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर उसे पद से हटा देंगे।
लोकसभा में जो तीन अहम विधेयक पेश होने जा रहे हैं, वे हैं:
- संविधान का 130वां संशोधन विधेयक, 2025
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक, 2025
- केंद्रशासित प्रदेश संशोधन विधेयक, 2025
क्यों बढ़ा विवाद? विपक्ष के तर्क
1. P.M की सलाह सबसे ऊपर
Supreme Court के वरिष्ठ वकील अनिल कुमार सिंह श्रीनेत का कहना है कि इस विधेयक में सबसे बड़ा पेंच प्रधानमंत्री की सलाह को सर्वोच्च महत्व देना है। सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री की यह सलाह सही होगी या नहीं, इसका परीक्षण कौन करेगा?
उनके मुताबिक, राष्ट्रपति भी प्रधानमंत्री की सलाह से बंध जाएंगे। इसका मतलब यह हुआ कि प्रधानमंत्री जब चाहें किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को पद से हटा सकते हैं। यही कारण है कि विपक्ष इसे तानाशाही की ओर कदम मान रहा है।
2. 5 साल सजा वाला प्रावधान
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस विधेयक में शामिल 5 साल सजा का प्रावधान बेहद खतरनाक है।
दरअसल, भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और आर्थिक अपराधों में आमतौर पर 5 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान होता है।
बीते कुछ वर्षों में कई बड़े नेताओं जैसे –
- दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल
- पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
- मंत्री सत्येंद्र जैन
को जेल जाना पड़ा था। इनके खिलाफ जिन मामलों में कार्रवाई हुई, उनमें भी 5 साल से अधिक की सजा का प्रावधान था। ऐसे में लगभग हर बड़ा भ्रष्टाचार केस इस कानून के दायरे में आ जाएगा। विपक्ष का आरोप है कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को हटाने के लिए किया जा सकता है।
3. हिरासत का झोल
विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार के पास CBI, ईडी और एनआईए जैसी एजेंसियां पहले से मौजूद हैं। अगर ये एजेंसियां किसी विपक्षी नेता या मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाकर जांच शुरू करती हैं और उन्हें हिरासत में रख लेती हैं, तो 30 दिन जेल में रखने के बाद उनका पद स्वतः ही समाप्त हो जाएगा।
वकील अनिल सिंह का कहना है कि यही इस विधेयक का सबसे बड़ा “झोल” है, क्योंकि हिरासत और गिरफ्तारी का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में किया जा सकता है।
पीएम और सीएम पर भी लागू होंगे प्रावधान
यह विधेयक सिर्फ मंत्रियों पर ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर भी लागू होगा।
- यदि कोई प्रधानमंत्री 30 दिनों तक जेल में रहता है, तो उन्हें 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा, वरना पद स्वतः समाप्त हो जाएगा।
- किसी राज्य मंत्री को हटाने के लिए राज्यपाल को मुख्यमंत्री की सलाह लेनी होगी। यदि सलाह नहीं मिलती, तो 31वें दिन उनका पद अपने आप खत्म हो जाएगा।
- यदि CM खुद 30 दिन जेल में रहते हैं, तो उन्हें भी 31वें दिन इस्तीफा देना पड़ेगा।
विपक्ष का आरोप – लोकतंत्र पर हमला
विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक लोकतांत्रिक व्यवस्था के मूल ढांचे को प्रभावित कर सकता है।
- प्रधानमंत्री की सलाह को अंतिम मानना उन्हें तानाशाही जैसी शक्तियां देना है।
- 5 साल की सजा वाला प्रावधान और हिरासत का नियम विपक्षी नेताओं को दबाने का आसान हथियार बन सकता है।
- यह कानून राजनीतिक बदले की भावना से इस्तेमाल हो सकता है।
निष्कर्ष
लोकसभा में आने वाला यह विधेयक आने वाले दिनों में भारी राजनीतिक बवाल खड़ा कर सकता है। एक तरफ सरकार इसे भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त राजनीति की दिशा में बड़ा कदम बता रही है, तो दूसरी तरफ विपक्ष इसे लोकतंत्र के लिए खतरा और तानाशाही की शुरुआत कह रहा है।
अब देखना होगा कि इस विधेयक पर संसद में कितनी बहस होती है और क्या सरकार इसे पारित कराने में सफल हो पाती है।
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