रूस ने लंबे समय तक Ukraine के Donbass क्षेत्र को अस्थिर बनाए रखा और फरवरी 2022 में हमले के दौरान स्थानीय लोगों के सहयोग का फायदा उठाकर अपने सैनिक पूरे इलाके में फैला दिए। डोनबास के दो प्रमुख हिस्से, लुहान्स्क और डोनेट्स्क, अब पूरी तरह रूस के कब्जे में हैं।
कीव/मॉस्को। रूस-यूक्रेन युद्ध की असली जड़ है डोनबास क्षेत्र। अगर यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की आज घोषणा कर दें कि यूक्रेन डोनबास को रूस को सौंपने के लिए तैयार है, तो शायद पुतिन तुरंत युद्ध खत्म करने की घोषणा कर दें। लेकिन ऐसा करना यूक्रेन के लिए अपने दिल को दुश्मन के हाथों सौंपने जैसा होगा। यही वजह है कि जेलेंस्की किसी भी कीमत पर डोनबास छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
डोनबास क्यों है Ukraine के लिए अहम?
डोनबास में दो प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं — डोनेट्स्क (Donetsk) और लुहान्स्क (Luhansk)। सोवियत संघ के दौर में यह इलाका औद्योगिक शक्ति का प्रतीक था। यहां कोयले की खदानें, इस्पात उद्योग और उपजाऊ कृषि भूमि मौजूद थी। सोवियत संघ को मजबूत बनाने में डोनबास का बड़ा योगदान रहा।
सोवियत संघ के टूटने के बाद डोनबास यूक्रेन का हिस्सा बना। लेकिन यह क्षेत्र न सिर्फ संसाधनों से समृद्ध है बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बेहद अहम है।
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आजोव सागर (Sea of Azov) से सटा होना इसे सामरिक महत्व देता है।
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मजबूत रेल नेटवर्क और नदियां इसे और ज्यादा रणनीतिक बनाती हैं।
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यहां की बड़ी आबादी रूसी भाषा बोलती है, जिनमें से कई रूस में शामिल होने की मांग करते रहे हैं।
यही वजह है कि रूस लंबे समय से डोनबास को अपने नियंत्रण में लाना चाहता रहा है।
रूस का Donbass पर कब्जा कैसे बढ़ा?
2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद पुतिन ने यूक्रेन को अस्थिर करना शुरू किया। डोनबास की रूसी-समर्थक आबादी ने इसे आसान बना दिया।
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रूस ने स्थानीय मिलिशिया को हथियार और समर्थन दिया।
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2014 से शुरू हुए संघर्ष में 14,000 से ज्यादा लोग मारे गए।
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कम से कम 15 लाख यूक्रेनियन डोनबास छोड़ चुके हैं।
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वहीं, रूस ने कब्जाए गए इलाकों के नागरिकों को रूसी पासपोर्ट देना शुरू कर दिया।
फरवरी 2022 में बड़े हमले से ठीक पहले पुतिन ने डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र देश घोषित किया और फिर फर्जी जनमत संग्रह कराकर उन्हें रूस में मिला लिया। इसके बाद रूसी सेना ने डोनबास के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया।
आज की स्थिति: कौन से शहर किसके पास?
वर्तमान में:
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रूस के पास लुहान्स्क का लगभग पूरा हिस्सा और डोनेट्स्क का करीब 70% हिस्सा है।
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हालांकि, स्लोवियांस्क और क्रामाटोर्स्क जैसे औद्योगिक शहर अभी भी यूक्रेन के नियंत्रण में हैं।
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इन शहरों को अमेरिका की मदद से यूक्रेन ने किले जैसा बना दिया है, और रूस अब तक इन्हें जीतने में नाकाम रहा है।
डोनबास की लड़ाई क्यों है निर्णायक?
अगर यूक्रेन डोनबास छोड़ देता है, तो देश का मध्य मैदान रूस के अगले हमले के लिए खुल जाएगा। यही वजह है कि जेलेंस्की बार-बार कहते हैं कि यह लड़ाई सिर्फ यूक्रेन की जमीन की नहीं, बल्कि पूरे यूरोप के Rule-Based International Order की है।
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रूस के लिए डोनबास उसकी राष्ट्रीय पहचान और रणनीतिक गहराई का प्रतीक है।
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यूक्रेन के लिए यह उसकी संप्रभुता और अस्तित्व का सवाल है।
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पश्चिमी देशों के लिए यह उनकी सामूहिक सुरक्षा और भविष्य का मुद्दा है।
यानी डोनबास वही इलाका है जो युद्ध को खत्म नहीं होने दे रहा है। अगर रूस यहां सफल होता है, तो इसका असर पूरे यूरोप और एशिया की सुरक्षा पर पड़ सकता है।
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