Sawan मास (सावन) का पावन महीना सोमवार को समाप्त हो गया। पूरे माह शिवालयों में भक्ति, उत्साह और श्रद्धा का माहौल रहा। अंतिम दिन शिवभक्तों ने विशेष जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और भजन-कीर्तन के साथ सावन को विदाई दी। मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लगीं और चारों ओर “हर-हर महादेव” के जयकारे गूंजते रहे।
पूरे सावन महीने में शिवभक्तों ने व्रत, पूजा और कांवड़ यात्रा के जरिए भगवान शिव की आराधना की। अंतिम सोमवारी पर मंदिरों में विशेष सजावट की गई और भक्तों ने दूध, जल, बेलपत्र और धतूरा अर्पित कर पुण्य लाभ प्राप्त किया।
पंडितों के अनुसार, सावन मास का समापन भाद्रपद मास के आगमन के साथ होता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव विशेष रूप से अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
अंतिम दिन शिवभक्तों ने भगवान शिव का विशेष जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और दूधाभिषेक किया। पूजा-अर्चना के लिए गंगा जल, बेलपत्र, धतूरा, भस्म और फूलों का अर्पण किया गया। मंदिरों को रंग-बिरंगी लाइटों, फूलों की मालाओं और रांगोली से सजाया गया, जिससे वातावरण और भी भक्तिमय हो गया।
पूरे सावन मास के दौरान शिवभक्तों ने सोमवार के व्रत रखे, कथा-कीर्तन में भाग लिया और कांवड़ यात्रा के माध्यम से गंगा जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक किया। कई स्थानों पर सामूहिक भजन-कीर्तन और महाप्रसाद वितरण का आयोजन भी किया गया।
पंडितों के अनुसार, सावन मास का समापन भाद्रपद मास के आगमन के साथ होता है। धार्मिक मान्यता है कि सावन भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इस महीने में की गई पूजा-अर्चना का कई गुना फल मिलता है। अंतिम सोमवारी पर पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सावन की समाप्ति के साथ ही अब भाद्रपद मास की शुरुआत होगी, जिसमें गणेश चतुर्थी, अनंत चतुर्दशी और अन्य प्रमुख पर्व मनाए जाएंगे।
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