SCO Summit 2025: भारत और चीन के रिश्ते हमेशा उतार-चढ़ाव से भरे रहे हैं। कभी दोस्ती का दौर रहा, तो कभी तनाव और युद्ध की स्थिति बनी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तियानजिन में हुई मुलाकात ने एक बार फिर इन जटिल संबंधों को सुर्खियों में ला दिया है।
भारत-चीन रिश्तों की शुरुआत और डॉ. कोटनीस की कहानी
भारत और चीन के रिश्तों की शुरुआत 1938 में हुई थी। उस समय जापान के हमलों से परेशान चीन की मदद के लिए भारत ने एक मेडिकल टीम भेजी थी। इस टीम में डॉ. द्वारकानाथ कोटनीस भी शामिल थे, जिन्होंने चीन में रहकर घायल सैनिकों और आम लोगों की सेवा की। इससे दोनों देशों के बीच दोस्ती की नींव पड़ी।
पंचशील समझौता और शांति का दौर
आजादी के बाद दोनों देशों ने संबंध मजबूत करने की कोशिश की। 29 अप्रैल 1954 को पंचशील समझौता हुआ, जिसमें पांच सिद्धांत शामिल थे:
- एक-दूसरे की जमीन और अधिकारों का सम्मान
- हमला न करना
- अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप न करना
- बराबरी और पारस्परिक लाभ
- शांति बनाए रखना
उस दौर में “हिंदी-चीनी भाई भाई” का नारा भी गूंजा। लेकिन यह दोस्ती ज्यादा समय तक नहीं टिक सकी।
1962 का भारत-चीन युद्ध: भरोसा टूटा
1959 में भारत ने दलाई लामा को शरण दी, जिससे चीन नाराज़ हो गया। सीमा विवाद तेज हुआ और आखिरकार 20 अक्टूबर 1962 को चीन ने भारत पर हमला कर दिया। इस युद्ध ने भारत-चीन संबंधों में गहरी दरार डाल दी। युद्ध के बाद पंचशील समझौता भी निष्क्रिय हो गया और दोनों देशों के बीच अविश्वास बढ़ता गया।
गलवान घाटी की झड़प और सीमा विवाद
सीमा विवाद का तनाव 2020 में फिर बढ़ गया, जब लद्दाख के गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए। इसके बाद दोनों देशों ने सीमा पर सेना तैनात कर दी और वीजा-फ्लाइट सेवाएं रोक दीं। कैलाश मानसरोवर यात्रा भी प्रभावित हुई।
हालांकि कई दौर की बातचीत के बाद कुछ इलाकों से सैनिक हटे, लेकिन LAC विवाद पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। दोनों देश अब भी सीमा पर सड़क और सैन्य ढांचे खड़े कर रहे हैं।
सीमा शांति के लिए समझौते
भारत और चीन ने 1993, 1996 और 2005 में भी सीमा शांति समझौते किए थे। 2020 की झड़प के बाद भी दोनों देश नई वार्ताओं में जुटे। अब सीमा पर शांति बनाए रखने, फ्लाइट्स दोबारा शुरू करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा बहाल करने की कोशिशें हो रही हैं।
SCO Summit 2025: मोदी-जिनपिंग की अहम मुलाकात
तियानजिन में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय बैठक हुई। मोदी ने कहा कि भारत आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने चीनी राष्ट्रपति को SCO की सफल अध्यक्षता पर बधाई दी और चीन यात्रा के निमंत्रण के लिए धन्यवाद दिया। वहीं शी जिनपिंग ने भी सीमा पर स्थिरता और शांति को अहम बताया।
इस बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल हो सकते हैं। ऐसे समय में जब अमेरिका की टैरिफ नीतियों पर विवाद चल रहा है, तीनों देशों के नेताओं की मुलाकात भू-राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है।
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